Aaj ka Panchang 05 October 2025: अक्टूबर के पहले रविवार पर बन रहे ये शुभ-अशुभ योग, पढ़ें पंचांग
Aaj ka Panchang 05 अक्टूबर 2025 के अनुसार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि बहुत ही खास मानी जा रही है। इस तिथि पर रविवार पड़ रहा है। जो सूर्य देव को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार रविवार के दिन सूर्य देव की उपासना करने से साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में आइए एस्ट्रोलॉजर आनंद सागर पाठक से जानते हैं आज का पंचांग।

आनंद सागर पाठक, एस्ट्रोपत्री। आज यानी 05 अक्टूबर को आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है। इस तिथि पर अक्टूबर महीने का पहला रविवार पड़ रहा है। सनातन धर्म में रविवार के दिन सूर्य देव की पूजा-अर्चना करने का विधान है।
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य देव को अर्घ्य देने और पूजा करने से साधक को सभी कामों के सफलता प्राप्त होती है। साथ ही सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है। अक्टूबर के दिन पहले रविवार के दिन कई शुभ योग भी बन रहे हैं। ऐसे में आइए जानते हैं आज का पंचांग (Aaj ka Panchang 05 October 2025) के बारे में।
तिथि: शुक्ल त्रयोदशी
मास पूर्णिमांत: अश्विन
दिन: रविवार
संवत्: 2082
तिथि: त्रयोदशी दोपहर 03:03 बजे तक
योग: गंड सायं 04:34 बजे तक
करण: तैतिल दोपहर 03:03 बजे तक
करण: 06 अक्टूबर को गरज रात्रि 01 बजकर 47 मिनट तक
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय: सुबह 06 बजकर 16 मिनट पर
सूर्यास्त: सायं 06 बजकर 02 मिनट पर
चंद्रमा का उदय: सायं 06 बजकर 54 मिनट पर
चन्द्रास्त: 06 अक्टूबर को प्रातः 05 बजकर 08 मिनट तक
सूर्य राशि: कन्या
चंद्र राशि: कुंभ
पक्ष: शुक्ल
शुभ समय अवधि
अभिजीत मुहूर्त: प्रातः 11 बजकर 46 मिनट से दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक
अमृत काल: 06 अक्टूबर को रात्रि 10 बजकर 51 मिनट से रात्रि 12 बजकर 20 मिनट तक
अशुभ समय अवधि
राहुकाल: सायं 04 बजकर 34 बजे से सांय 06 बजकर 02 मिनट तक
गुलिकाल: दोपहर 03 बजकर 06 मिनट से सांय 04 बजकर 34 मिनट तक
यमगण्ड: दोपहर 12 बजकर 09 मिनट से दोपहर 01 बजकर 38 मिनट तक
आज का नक्षत्र
आज चंद्रदेव शतभिषा नक्षत्र में रहेंगे…
शतभिषा नक्षत्र- प्रातः 08 बजकर 01 मिनट तक
सामान्य विशेषताएं: उच्च बुद्धिमत्ता, सबके प्रिय, स्वतंत्र, धैर्यवान, आलसी, तृत्व क्षमता, सीमाओं को तोड़ने की प्रवृत्ति, महत्वाकांक्षी और जिज्ञासु
नक्षत्र स्वामी: राहु देव
राशि स्वामी: शनि देव
देवता: वरुण (जल देवता)
प्रतीक: खाली घेरा
भगवान सूर्य के मंत्र:
1. ॐ घृणिं सूर्य्य: आदित्य:
2. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।।
3. ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।
4. ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ ।
5. ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः ।
6. ॐ सूर्याय नम: ।
7. ॐ घृणि सूर्याय नम: ।
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