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    Sharad Purnima 2025: शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त कब है? धन समृद्धि के लिए इस दिन लगाएं इसका भोग

    Updated: Fri, 03 Oct 2025 05:27 PM (IST)

    आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि 6 अक्टूबर को है इसलिए शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर को मनाई जाएगी। इस दिन चंद्रमा अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर अमृत वर्षा करता है। मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी खीर खाने से रोग दूर होते हैं। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्मी की पूजा का विशेष महत्व है। राशि अनुसार मंत्रों का जप और भोग लगाने से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

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    छह अक्टूबर को आश्विन मास की पूर्णिमा है।

    जागरण संवाददाता, कानपुर। आश्विन मास की पूर्णिमा तिथि छह अक्टूबर को दोपहर 12:23 बजे से प्रारंभ होकर दूसरे दिन सात अक्टूबर 2025 को प्रात: काल नौ बजकर 16 बजे तक रहेगी। ऐसे में शरद पूर्णिमा का पावन पर्व छह अक्टूबर को मनाया जाएगा। शरद पूर्णिमा जिसे कोजागर पूजा के नाम से भी जाना जाता है, उसके लिए शुभ मुहूर्त छह अक्टूबर को रात्रि 11:45 बजे से लेकर सात अक्टूबर को पूर्वाह्न 12:34 बजे तक रहेगा। छह अक्टूबर को चंद्रोदय शाम को पांच बजकर 27 बजे होगा।

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    शरद पूर्णिमा के दिन चांद अपनी 16 कलाओं से युक्त होकर धरती पर अमृत की वर्षा करता है। इस तिथि के पौराणिक महत्व के अनुसार इस दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत बूंदें झरती हैं। पूर्णिमा की रात में जिस भी चीज पर चंद्रमा की किरणें गिरती हैं। उसमें अमृत का संचार होता है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर पूरी रात चंद्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता है और सुबह उठकर यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती है।

    पौराणिक मान्यता है कि चंद्रमा की रोशनी में रखी गई खीर खाने से शरीर से रोग समाप्त होते हैं। साथ ही जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा शुभ फल नहीं देते हैं, उन्हें तो इस खीर का सेवन जरूर करना चाहिए।

    शरद पूर्णिमा की रात मां लक्ष्मी को मनाने का मंत्र

    'ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः'

    शरद पूर्णिमा यानी मां लक्ष्‍मी का जन्‍मदिन के रूप में मनाया जाने वाला सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्‍त होने का त्‍योहार है। माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्‍मी सबसे प्रसन्‍न मुद्रा में होती हैं और पूजा करने से प्रसन्‍न होकर अपने भक्‍तों को साल सुखी और संपन्‍न रहने का आशीर्वाद देती हैं। मां लक्ष्‍मी की पूजा के लिए कौन से मंत्र का जप करना चाहिए और खीर के साथ अन्‍य किन वस्‍तुओं का भोग लगाना चाहिए।

    राशि के लोग इन मंत्रों का करें जप

    मेष

    मंत्र: ऊं ऐं क्‍लीं सौं:

    मेष राशि के स्‍वामी मंगल माने जाते हैं और इस राशि के लोगों का लाल रंग लकी माना जाता है। इस राशि के लोगों को मां लक्ष्‍मी को शरद पूर्णिमा पर खीर के साथ सेब का भोग लगाना चाहिए।

    वृष

    मंत्र: ऊं ऐं क्‍लीं श्रीं

    वृष राशि के स्‍वामी शुक्र को माना जाता है और शुक्र को सफेद वस्‍तुएं प्रिय मानी जाती हैं और साथ ही मां लक्ष्‍मी को भी सफेद रंग की वस्‍तुएं प्रिय होती हैं इसलिए आप खीर के साथ मखाने और नारियल का भी भोग मां लक्ष्‍मी को लगा सकते हैं।

    मिथुन

    मंत्र: ऊं क्‍लीं ऐं सौं:

    मिथुन राशि के स्‍वामी बुध माने जाते हैं और इस राशि के लोगों के लिए लकी रंग हरा माना जाता है। इसलिए आप शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्‍मी को हरे सिंघाड़े के साथ हरे रंग के फलों का भोग लगा सकते हैं।

    कर्क

    मंत्र: ऊं ऐं क्‍लीं श्रीं

    कर्क राशि को चंद्रदेव की राशि माना जाता है और इस राशि का लकी रंग सफेद है। शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्‍मी के साथ चंद्रदेव की भी पूजा की जाती है। इसलिए इस दिन आप सफेद मिष्‍ठान का भोग लगाकर मां को प्रसन्‍न कर सकते हैं।

    सिंह

    मंत्र: ऊं हृीं श्रीं सौं:

    सिंह राशि के स्‍वामी सूर्यदेव हैं। आपकी राशि वालों के लिए लकी कलर पीला और नारंगी माना जाता है। आपको शरद पूर्णिमा पर खीर के साथ मां लक्ष्‍मी को पीले और नारंगी रंग के फलों का भोग लगाना चाहिए।

    कन्‍या

    मंत्र: ऊं श्रीं ऐं सौं

    कन्‍या राशि का स्‍वामी बुध को माना जाता है। इस राशि के लोगों के लिए हरा रंग सबसे प्रभावशाली माना जाता है। आपको शरद पूर्णिमा पर मां लक्ष्‍मी को खीर के साथ खीरा भी प्रसाद के रूप में अर्पित करना चाहिए।

    तुला

    मंत्र: ऊं हृीं क्‍लीं श्री

    तुला राशि के स्‍वामी शुक्र माने जाते हैं और आपके लिए लकी कलर नारंगी और सफेद होता है तो आपको शरद पूर्णिमा पर कौड़ि‍यों से मां लक्ष्‍मी की पूजा करनी चाहिए और सफेद मिष्‍ठान का भोग लगाना चाहिए।

    वृश्चिक

    मंत्र: ऊं ऐं क्‍लीं सौं

    आपके राशि स्‍वामी मंगल माने जाते हैं और मंगल को लाल रंग सबसे प्रिय है। लाल रंग मां लक्ष्‍मी को भी प्रिय माना जाता है। आपको खीर में केसर डालकर मां लक्ष्‍मी का भोग लगाना चाहिए और साथ में अनार का भी भोग आप लगा सकते हैं।

    धनु

    मंत्र: ऊं हृीं क्‍लीं सौं:

    धुन राशि के लोगों का स्‍वामी बृहस्‍पति को माना जाता है और इस राशि का लकी कलर पीला होता है। केसर वाली खीर के साथ आपको पीले फलों का भोग मां लक्ष्‍मी को लगाना चाहिए।

    मकर

    मंत्र: ऊं ऐं क्‍लीं हृीं श्रीं सौं

    मकर राशि के स्‍वामी शनि माने जाते हैं और इस राशि के लोगों का लकी कलर काला होता है। मगर काले रंग से किसी भी प्रकार की पूजा नहीं होती। इसलिए आपको मां लक्ष्‍मी की पूजा में कमल का पुष्‍प चढ़ाना चाहिए और खीर का भोग लगाना चाहिए।

    कुंभ

    मंत्र: ऊं हृीं ऐं क्‍लीं श्रीं

    कुंभ राशि के स्‍वामी भी शनि होते हैं। आपको शरद पूर्णिमा की पूजा में मां को लाल गुड़हल का पुष्‍प चढ़ाना चाहिए और खीर का भोग लगाना चाहिए।

    मीन

    मंत्र: ऊं हृीं क्‍लीं सौं

    मीन राशि के स्‍वामी सूर्य माने जाते हैं। आपको पूजा में पीले फूल और पीले फलों का प्रयोग करना चाहिए और केसर वाली खीर का भोग लगाना चाहिए।

    (जैसा कि ज्योतिष सेवा संस्थान के अध्यक्ष व संस्थापक आचार्य पवन तिवारी ने बताया)