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    79 डिग्री देशांतर को कहते हैं ‘शिव शक्ति रेखा’, हजारों साल पहले यहां सीधी रेखा में बने 7 शिवालय

    Updated: Wed, 23 Jul 2025 04:25 PM (IST)

    भारत में दो ज्योतिर्लिंगों सहित 7 शिवालयों को जोड़ती है शिव-शक्ति रेखा। यह 79 डिग्री देशांतर रेखा है। मान्यता है कि ये मंदिर पृथ्वी की आध्यात्मिक ऊर्जा रेखा पर स्थित हैं जहां शिव और शक्ति की ऊर्जा संतुलित रूप से प्रवाहित होती है। इतना ही नहीं ये मंदिर पंच तत्वों का प्रतिनिधित्व भी करते हैं।

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    भारत के 7 शिवालय 79 डिग्री देशांतर रेखा का रहस्य।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हजारों साल पहले भारतीय ज्ञान इतना समृद्ध था कि आज का आधुनिक विज्ञान को भी कई बार उस स्तर को समझ नहीं पाता है। इसी में से एक है 79 डिग्री देशांतर रेखा, जिसे शिव-शक्ति रेखा के नाम से भी जाना जाता है। वजह है कि भारत में इस सीधी रेखा में दो ज्योतिर्लिंग सहित 7 शिवालय स्थिति हैं। 

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    मान्यता है कि यह पृथ्वी की आध्यात्मिक ऊर्जा रेखा पर बने हैं, जहां शिव और शक्ति की ऊर्जाएं अत्यंत संतुलित रूप से प्रवाहित होती हैं। दो ज्योतिर्लिंगों के अलावा यहां पर बने 5 प्रमुख शिवालय पंच तत्वों जैसे अग्नि, पृथ्वी, वायु, जल और आकाश का प्रतिनिधित्व करते हैं।

    हजारों साल पहले बने इन मंदिरों को एक सीध में उस वक्त बनाया गया था, जब दुनिया के दूसरे देशों के लोगों को अक्षांश और देशांतर का ज्ञान भी नहीं था। इस रेखा के उत्तरी में सबसे ऊपर केदारनाथ ज्योतिर्लिंग है। वहीं, दक्षिणी छोर पर रामेश्वरम ज्योतिर्लिंग है, जिसकी स्थापना स्वयं भगवान राम ने की थी। 

    जानते हैं कौन से ये मंदिर 

    केदारनाथ धाम (उत्तराखंड) - भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक यह मंदिर उत्तर भारत में पड़ता है। इसके बाद 2400 किमी की दूरी पर स्थिति बाकी मंदिरों का एक सीधी रेखा में बनना उस भारतीय ज्ञान को दिखाता है।

    श्रीकालाहस्ती मंदिर (आंध्र प्रदेश) - यह मंदिर वायु तत्व का प्रतीक हैं। यहां स्थापित शिवलिंग को स्वयंभू और जीवित लिंग माना जाता है। इसके पास जल रही दीपक की लौ हवा के बावजूद भी नहीं बुझती है। 

    एकाम्बेश्वरनाथ मंदिर (कांचीपुरम, तमिलनाडु) - यह मंदिर पृथ्वी तत्व का प्रतीक है और कांचीपुरम के प्रमुख शिव मंदिरों में गिना जाता है। रेत से बना यहां का शिवलिंग पृथ्वी की दृढ़ता को दिखाता है। 

    अरुणाचलेश्वर मंदिर (तिरुवन्नामलाई, तमिलनाडु) - कहते हैं कि यहां भोलेनाथ अग्नि के रूप में प्रकट हुए थे। लिहाजा, इसे अग्नि तत्व का प्रतीक माना जाता है। 

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    जम्बुकेश्वर मंदिर (तिरुचिरापल्ली, तमिलनाडु) - यहां के गर्भगृह में भूमिगत जल धारा से शिवलिंग पानी में डूबा रहता है। इसी वजह से इस मंदिर को जल तत्व से जुड़ा हुआ माना जाता है। 

    थिल्लई नटराज मंदिर (चिदंबरम, तमिलनाडु) - यह मंदिर आकाश तत्व का प्रतीक है। यहां भगवान शिव की निराकार रूप में पूजा की जाती है और यह मंदिर उनके नटराज रूप को समर्पित है।

    रामेश्वरम मंदिर (तमिलनाडु) - कहते हैं कि रावण के खिलाफ युद्ध करने के लिए लंका पर चढ़ाई से पहले भगवान राम ने यहां पूजा की थी। यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में शामिल हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।