Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Sankashti Chaturthi 2025: इस आरती से जीवन की बाधाएं होंगी दूर, बरसेगी गौरीनंदन की कृपा

    वैदिक पंचांग के अनुसार आज यानी 16 अप्रैल (Vikat Sankashti Chaturthi 2025) को विकट संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यता के अनुसार संकष्टी चतुर्थी के दिन व्रत और भगवान गणेश की पूजा करने से परिवार में सुख-शांति बनी रहती है और जीवन की सभी बाधाएं दूर होती हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें भगवान गणेश को प्रसन्न?

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 16 Apr 2025 09:17 AM (IST)
    Hero Image
    Vikat Sankashti Chaturthi 2025: इस आरती के बिना अधूरी है पूजा (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने के लिए हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को शुभ माना जाता है, क्योंकि यह तिथि भगवान शिव के पुत्र भगवान गणेश को समर्पित है। वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी पर विकट संकष्टी चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, विकट संकष्टी चतुर्थी (Vikat Sankashti Chaturthi 2025) पर भगवान गणेश की पूजा करने से काम में आ रही रुकवाट से छुटकारा मिलता है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    अगर आप विकट संकष्टी चतुर्थी के अवसर पर भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो इस दिन पूजा के दौरान प्रभु की आरती जरूर करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, आरती (Lord Ganesha Aarti) करने से पूजा सफल होती है। साथ ही कारोबार में वृद्धि होती है।

    यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2025: इन चीजों का भोग लगाने से बरसेगी भगवान गणेश की कृपा, मिलेगा शुभ फल

    गणेश जी की आरती (Ganesh ji ki aarti)

    जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा

    माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥

    जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

    एक दंत दयावंत, चार भुजाधारी

    माथे पे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥

    जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

    अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया

    बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥

    जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

    हार चढ़ै, फूल चढ़ै और चढ़ै मेवा

    लड्डुअन को भोग लगे, संत करे सेवा ॥

    जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

    दीनन की लाज राखो, शंभु सुतवारी

    कामना को पूर्ण करो, जग बलिहारी ॥

    जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा ॥

    गणेश जी के मंत्र (Ganpati Mantra)

    1. वक्रतुण्ड महाकाय कोटिसूर्य समप्रभ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा।।

    2. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

    3. ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं चिरचिर गणपतिवर वर देयं मम वाँछितार्थ कुरु कुरु स्वाहा ।

    4. ॐ श्रीं गं सौभ्याय गणपतये वर वरद सर्वजनं में वशमानय स्वाहा।

    5. ॐ एकदन्ताय विद्धमहे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥

    6. ॐ नमो ह्रीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मम गृहे धनं देही चिन्तां दूरं करोति स्वाहा ॥

    7. गणपतिर्विघ्नराजो लम्बतुण्डो गजाननः ।

    8.विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय लंबोदराय सकलाय जगद्धितायं।

    नागाननाथ श्रुतियज्ञविभूषिताय गौरीसुताय गणनाथ नमो नमस्ते।।

    यह भी पढ़ें: Sankashti Chaturthi 2025: इन मंत्रों के जप से करें भगवान गणेश को प्रसन्न, बिगड़े काम हो सकते हैं पूरे

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।