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    Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2024 पर दुर्लभ शिववास योग समेत बन रहे हैं ये शुभ संयोग, प्राप्त होगा दोगुना फल

    सनातन धर्म में चतुर्थी तिथि (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2024) का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान गणेश की विशेष पूजा-उपासना की जाती है। साथ ही चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होती है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी आश्विन महीने में किया जाता है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 19 Sep 2024 04:12 PM (IST)
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    Lord Ganesh: विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 21 सितंबर को विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी है। यह पर्व हर वर्ष आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वर पाने के लिए संकष्टी चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2024) व्रत करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही आय, सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही कई मंगलकारी शुभ योग भी बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं-

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    शुभ मुहूर्त (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Shubh Muhurat)

    आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि शुक्रवार 20 सितंबर को रात 09 बजकर 15 मिनट पर शुरू होगी। इस शुभ तिथि का समापन 21 सितंबर को संध्याकाल 06 बजकर 13 मिनट पर होगा। उदया तिथि गणना के अनुसार 21 विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर चंद्र दर्शन का शुभ मुहूर्त शाम 08 बजकर 29 मिनट पर है।

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    शिववास योग

    आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर दुर्लभ शिववास योग का निर्माण हो रहा है। विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर देवों के देव महादेव संध्याकाल 06 बजकर 13 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार होंगे। इस समय में शिव परिवार की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होगा।

    हर्षण योग

    विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पर हर्षण योग का संयोग बन रहा है। इस योग का निर्माण सुबह 11 बजकर 37 मिनट से हो रहा है। ज्योतिष हर्षण योग को शुभ मानते हैं। इस योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा। हर्षण योग का समापन 22 सितंबर को 08 बजकर 18 मिनट पर होगा।

    करण

    आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर बव, बालव और कौलव करण के शुभ योग बन रहे हैं। इनमें सबसे पहले बव करण का संयोग बन रहा है। इसके बाद क्रमश: बालव और कौलव करण का निर्माण हो रहा है। इसके साथ ही पूजा हेतु अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। अभिजीत मुहूर्त दोपहर 11 बजकर 49 मिनट से लेकर 12 बजकर 38 मिनट तक है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।