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Lord Ganesh: भगवान गणेश जी की पूजा में करें यह एक कार्य, घर में खुशियों का होगा आगमन

अगर आप बिगड़े काम पूरा करना चाहते हैं तो बुधवार के दिन सुबह स्नान करने के बाद भगवान गणेश जी की पूजा-अर्चना करें और मोदक का भोग जरूर लगाएं। इसके अलावा सच्चे मन से गणेश स्तोत्र का पाठ करें। मान्यता है कि ऐसा करने से जातक के जीवन में व्याप्त सभी तरह के दुख और संकट दूर होते हैं। साथ ही सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Wed, 26 Jun 2024 07:00 AM (IST)
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Lord Ganesh: भगवान गणेश जी की पूजा में करें यह एक कार्य, घर में खुशियों का होगा आगमन

धर्म डेक्स, नई दिल्ली। Ganesha Stotram Lyrics: हिंदू धर्म में सप्ताह के सभी दिन किसी न किसी देवी-देवता को समर्पित है। ठीक इसी प्रकार बुधवार का दिन भगवान शिव के पुत्र गणपति बप्पा को समर्पित है। इस दिन गणेश जी की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही सभी विघ्नों से मुक्ति पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बुधवार के दिन सच्चे मन से भगवान गणेश की पूजा करने से घर में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। साथ ही इंसान को धन संबंधी परेशानी से छुटकारा मिलता है। इस दिन गणेश स्तोत्र का पाठ करना बेहद फलदायी साबित होता है।

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गणेश स्तोत्र (Ganesha Stotram)

प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।

भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ॥1॥

प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।

तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ॥2॥

लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।

सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ॥3॥

नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।

एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ॥4॥

द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।

न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ॥5॥

विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।

पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ॥6॥

जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।

संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ॥7॥

अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।

तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ॥8॥

॥ इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

संतान गणपति स्तोत्र

नमोऽस्तु गणनाथाय सिद्धी बुद्धि युताय च।

सर्वप्रदाय देवाय पुत्र वृद्धि प्रदाय च।।

गुरु दराय गुरवे गोप्त्रे गुह्यासिताय ते।

गोप्याय गोपिताशेष भुवनाय चिदात्मने।।

विश्व मूलाय भव्याय विश्वसृष्टि करायते।

नमो नमस्ते सत्याय सत्य पूर्णाय शुण्डिने।।

एकदन्ताय शुद्धाय सुमुखाय नमो नम:।

प्रपन्न जन पालाय प्रणतार्ति विनाशिने।।

शरणं भव देवेश सन्तति सुदृढ़ां कुरु।

भविष्यन्ति च ये पुत्रा मत्कुले गण नायक।।

ते सर्वे तव पूजार्थम विरता: स्यु:रवरो मत:।

पुत्रप्रदमिदं स्तोत्रं सर्व सिद्धि प्रदायकम्।।

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