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    Rudrashtakam Stotram: कब और किसने की रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना? जानें इससे जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

    Updated: Mon, 12 Aug 2024 02:29 PM (IST)

    सावन के महीने (Sawan 2024) में भगवान शिव मां पार्वती के संग भूलोक पर वास करते हैं। सावन में महादेव और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। इससे साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही पूजा के दौरान रुद्राष्टकम स्तोत्र ( Rudrashtakam Stotram) का पाठ करना चाहिए। इस लेख में जानते हैं इस स्तोत्र की जप विधि और अन्य जानकारी के बारे।

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    Rudrashtakam Stotram: पूजा के दौरान जरूर करें रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rudrashtakam Stotram: सावन के महीने में शिव मंदिरों में उत्सव जैसा माहौल देखने को मिलता है। इस दौरान मंदिरों को बेहद सुंदर तरीके से सजाया जाता है। इस वर्ष सावन की शुरुआत 22 जुलाई से हुई है और समापन 19 अगस्त (Sawan 2024 End Date) को होगा। इस पूरे महीने में देवों के देव महादेव और माता पार्वती की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए सावन सोमवार व्रत (Sawan Somwar) किया जाता है। इससे भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मुरादें पूरी करते हैं। पूजा के दौरान सच्चे मन से रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ किया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि रुद्राष्टकम स्तोत्र की रचना किसने की? अगर नहीं पता, तो चलिए जानते हैं इसके बारे में।  

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    ये है वजह

    हिंदी साहित्य के महान कवि तुलसीदास जी ने भक्ति काल में  रुद्राष्टकम स्तोत्र लिखा था। इस स्तोत्र की रचना का उद्देश्य था कि इसका हर रोज विधिपूर्वक पाठ करने से व्यक्ति जीवन के पापों से मुक्त हो सके।

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    मिलते हैं कई फायदे

    • धार्मिक मान्यता के अनुसार, अगर जातक विधिपूर्वक रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करता है, तो भगवान शिव प्रसन्न होते हैं और सभी तरह की परेशानियों से मुक्ति मिलती है।  
    • इसके अलावा रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करने से आध्यात्मिक ऊर्जा में बढ़ोतरी होती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है।  
    • स्तोत्र का जप करने से चिंता और मानसिक तनाव दूर होता है और पूजा का शुभ फल प्राप्त होता है।  

    रुद्राष्टकम स्तोत्र की जप विधि

    सुबह जल्दी उठें और दिन की शुरुआत देवी-देवता के ध्यान से करें। इसके बाद स्नान कर साफ वस्त्र धारण करें। सूर्य देव को जल अर्पित कर पूजा की शुरुआत करें। अब दीपक जलाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। सच्चे मन से महादेव की आरती करें और इसके बाद रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें। इसका पाठ लगातार 7 दिन सुबह और शाम को करना बेहद शुभ माना जाता है। अब प्रभु को खीर, फल और मिठाई का भोग लगाएं।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।