Move to Jagran APP

Lord Shiv: सोमवार की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन के दुखों का होगा अंत

सोमवार का दिन भगवान शिव को प्रिय है। इसलिए सोमवार के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। अगर आप भगवान शिव (Lord Shiv) को प्रसन्न करना चाहते हैं तो सोमवार के दिन शिव जी की भक्तिभाव के साथ पूजा करें और प्रिय चीजों को भोग लगाएं। साथ ही शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ करें।

By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Mon, 10 Jun 2024 06:30 AM (IST)
Lord Shiv: सोमवार की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन के दुखों का होगा अंत
Lord Shiv: सोमवार की पूजा में करें इस स्तोत्र का पाठ, जीवन के दुखों का होगा अंत

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rudrashtakam Stotram: सोमवार के दिन भगवान शिव की पूजा-व्रत करने का विधान है। धार्मिक मान्यता है कि सोमवार को भगवान महादेव और मां पार्वती की उपासना करने से साधक को सभी कार्यों में सफलता प्राप्त होती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। अगर आप भी भगवान शिव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो सोमवार के दिन पूजा के दौरान शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र का पाठ जरूर करें। इससे दुखों से निजात मिलती है और जीवन में खुशियों का आगमन होता है। आइए पढ़ते हैं शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र।

यह भी पढ़ें: Ganga Dussehra 2024: इन 03 शुभ योग में मनाई जाएगी गंगा दशहरा, नष्ट होंगे सभी पाप

शिव रुद्राष्टकम स्तोत्र (Rudrashtakam Stotram Lyrics in Hindi)

नमामीशमीशान निर्वाणरूपं ।

विभुं व्यापकं ब्रह्मवेदस्वरूपम् ।।

निजं निर्गुणं निर्विकल्पं निरीहं ।

चिदाकाशमाकाशवासं भजेऽहम् ।।1।।

निराकारमोङ्कारमूलं तुरीयं ।

गिराज्ञानगोतीतमीशं गिरीशम् ।।

करालं महाकालकालं कृपालं ।

गुणागारसंसारपारं नतोऽहम् ।।2।।

तुषाराद्रिसंकाशगौरं गभीरं ।

मनोभूतकोटिप्रभाश्री शरीरम् ।।

स्फुरन्मौलिकल्लोलिनी चारुगङ्गा ।

लसद्भालबालेन्दु कण्ठे भुजङ्गा ।।3।।

चलत्कुण्डलं भ्रूसुनेत्रं विशालं ।

प्रसन्नाननं नीलकण्ठं दयालम् ।।

मृगाधीशचर्माम्बरं मुण्डमालं ।

प्रियं शङ्करं सर्वनाथं भजामि ।।4।।

प्रचण्डं प्रकृष्टं प्रगल्भं परेशं ।

अखण्डं अजं भानुकोटिप्रकाशं ।।

त्रय: शूलनिर्मूलनं शूलपाणिं ।

भजेऽहं भवानीपतिं भावगम्यम् ।।5।।

कलातीतकल्याण कल्पान्तकारी ।

सदा सज्जनानन्ददाता पुरारी ।।

चिदानन्दसंदोह मोहापहारी ।

प्रसीद प्रसीद प्रभो मन्मथारी ।।6।।

न यावद् उमानाथपादारविन्दं ।

भजन्तीह लोके परे वा नराणाम् ।

न तावत्सुखं शान्ति सन्तापनाशं ।

प्रसीद प्रभो सर्वभूताधिवासं ।।7।।

न जानामि योगं जपं नैव पूजां ।

नतोऽहं सदा सर्वदा शम्भुतुभ्यम् ।।

जराजन्मदुःखौघ तातप्यमानं ।

प्रभो पाहि आपन्नमामीश शंभो ।।8।।

रुद्राष्टकमिदं प्रोक्तं विप्रेण हरतोषये ।

ये पठन्ति नरा भक्त्या तेषां शम्भुः प्रसीदति ।।9।।

यह भी पढ़ें: Vinayak Chaturthi 2024: विनायक चतुर्थी पर जरूर करें इन मंत्रों का जप, सभी बाधाएं होंगी दूर

अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।