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    Vaishakh Purnima के दिन इस आरती से भगवान विष्णु को करें प्रसन्न, सभी सुखों की होगी प्राप्ति

    वैदिक पंचांग के अनुसार आज यानी 12 मई को (Vaishakh Purnima 2025 Date) को वैशाख पूर्णिमा का त्योहार मनाया जा रहा है। इस दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा का विधान है। साथ ही आरती जरूर करनी चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार पूर्णिमा के दिन पूजा करने से सभी संकट दूर होते हैं।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 12 May 2025 08:57 AM (IST)
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    Vaishakh Purnima 2025: भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती (Pic Credit- Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख पूर्णिमा का दिन सुबह पवित्र नदी स्नान और विशेष चीजों का दान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, वैशाख पूर्णिमा के दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन खुशहाल होता है। इस दिन पूजा के समय भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की आरती जरूर करनी चाहिए। ऐसा माना जाता है कि आरती करने से साधक को पूजा का पूर्ण फल प्राप्त होता है और सभी सुखों की प्राप्ति होती है।

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    भगवान विष्णु की आरती

    ॐ जय जगदीश हरे आरती

    ॐ जय जगदीश हरे...

    ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी! जय जगदीश हरे।

    भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    जो ध्यावे फल पावे, दुःख विनसे मन का।

    स्वामी दुःख विनसे मन का।

    सुख सम्पत्ति घर आवे, कष्ट मिटे तन का॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    मात-पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी।

    स्वामी शरण गहूं मैं किसकी।

    तुम बिन और न दूजा, आस करूं जिसकी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम पूरण परमात्मा, तुम अन्तर्यामी।

    स्वामी तुम अन्तर्यामी।

    पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सबके स्वामी॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम करुणा के सागर, तुम पालन-कर्ता।

    स्वामी तुम पालन-कर्ता।

    मैं मूरख खल कामी, कृपा करो भर्ता॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति।

    स्वामी सबके प्राणपति।

    किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    दीनबन्धु दुखहर्ता, तुम ठाकुर मेरे।

    स्वामी तुम ठाकुर मेरे।

    अपने हाथ उठा‌ओ, द्वार पड़ा तेरे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    विषय-विकार मिटा‌ओ, पाप हरो देवा।

    स्वामी पाप हरो देवा।

    श्रद्धा-भक्ति बढ़ा‌ओ, संतन की सेवा॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

    श्री जगदीशजी की आरती, जो कोई नर गावे।

    स्वामी जो कोई नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, सुख संपत्ति पावे॥

    ॐ जय जगदीश हरे...

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    आरती श्री लक्ष्मी जी

    ॐ जय लक्ष्मी माता,मैया जय लक्ष्मी माता।

    तुमको निशिदिन सेवत,हरि विष्णु विधाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    उमा, रमा, ब्रह्माणी,तुम ही जग-माता।

    सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत,नारद ऋषि गाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    दुर्गा रुप निरंजनी,सुख सम्पत्ति दाता।

    जो कोई तुमको ध्यावत,ऋद्धि-सिद्धि धन पाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    तुम पाताल-निवासिनि,तुम ही शुभदाता।

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी,भवनिधि की त्राता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    जिस घर में तुम रहतीं,सब सद्गुण आता।

    सब सम्भव हो जाता,मन नहीं घबराता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    तुम बिन यज्ञ न होते,वस्त्र न कोई पाता।

    खान-पान का वैभव,सब तुमसे आता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर,क्षीरोदधि-जाता।

    रत्न चतुर्दश तुम बिन,कोई नहीं पाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

    महालक्ष्मी जी की आरती,जो कोई जन गाता।

    उर आनन्द समाता,पाप उतर जाता॥

    ॐ जय लक्ष्मी माता॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।