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    Vaishakh Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा पर करें अपने पितरों का पिंडदान, जानिए नियम और महत्व

    Updated: Sat, 10 May 2025 01:01 PM (IST)

    वैशाख पूर्णिमा को बहुत ज्यादा फलदायी माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल यह 12 मई को मनाई जाएगी। यह दिन भगवान बुद्ध के जन्म का भी प्रतीक है। वहीं इस दिन (Vaishakh Purnima 2025) पिंडदान का भी बड़ा महत्व है तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं।

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    Vaishakh Purnima 2025: वैशाख पूर्णिमा पर पिंडदान का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैशाख पूर्णिमा का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यह न केवल भगवान विष्णु की पूजा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि पितरों के लिए भी यह दिन उत्तम माना जाता है। इस साल वैशाख पूर्णिमा 12 मई को मनाई जाएगी। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन पितरों के निमित्त पिंडदान करने से उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है और परिवार में सुख-समृद्धि आती है, तो आइए इस दिन (Vaishakh Purnima 2025) से जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार है।

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    पिंडदान का महत्व (Pind Daan Significance)

    हिंदू धर्म में पिंडदान एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है। वैशाख पूर्णिमा पर पिंडदान करने का विशेष महत्व इसलिए है, क्योंकि यह तिथि शुभ और पवित्र मानी जाती है। इस दिन किए गए पिंडदान से पितरों को तृप्ति मिलती है और उन्हें मोक्ष मिलता है। यह भी माना जाता है कि वैशाख पूर्णिमा पर पिंडदान करने से पितृ दोष से भी मुक्ति मिलती है, जिससे परिवार में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं।

    पिंडदान के नियम (Pind Daan Method)

    • पिंडदान पवित्र स्थानों जैसे गंगा तट, प्रयाग, गया आदि पर करना उत्तम माना जाता है।
    • हालांकि अगर ऐसा करना मुश्किल हो तो घर पर भी विधिपूर्वक पिंडदान किसी जानकार पुरोहित से करवा सकते हैं।
    • दोपहर के समय पिंडदान करना शुभ माना जाता है।
    • पिंडदान के लिए पिंड मुख्य रूप से चावल के आटे, जौ के आटे या गेहूं के आटे से बनाए जाते हैं।
    • इसके अलावा काले तिल, शहद, घी, दूध और कुशा का प्रयोग किया जाता है।
    • सबसे पहले पवित्र स्नान करें।
    • पितरों का ध्यान करते हुए कुश की पवित्री धारण करें।
    • थाली में पिंड, जल, तिल, कुशा और फूल रखें।
    • पितरों का आह्वान करें और मंत्रों का उच्चारण करते हुए पिंड अर्पित करें।
    • पिंड अर्पित करने के बाद उस पर जल और काले तिल डालें।
    • पितरों की तृप्ति के लिए प्रार्थना करें।
    • अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराएं और क्षमता अनुसार दान-दक्षिणा दें।

    वैशाख पूर्णिमा का महत्व (Vaishakh Purnima 2025 Significance)

    वैशाख पूर्णिमा को बुद्ध पूर्णिमा के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि इसी दिन भगवान बुद्ध का जन्म, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण (देह त्याग) हुआ था। इस दिन बौद्ध धर्म के लोग विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। इसके अलावा वैशाख पूर्णिमा को सत्यनारायण भगवान की पूजा के लिए भी शुभ माना जाता है। इस दिन सत्यनारायण व्रत रखने और सत्यनारायण कथा सुनने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। इसके साथ ही जीवन में खुशहाली आती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।