Vaishakh Amavasya 2025: पितृ दोष में राहत देंगे श्राद्ध और तर्पण, नोट करें वैशाख अमावस्या की तिथि और पूजा विधि
वैशाख अमावस्या पर स्नान दान और पूजा करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से मृत्यु के बाद भटक रही पितरों की आत्मा को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उनका आशीर्वाद मिलने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है। इस बार वैशाख अमावस्या 27 अप्रैल को पड़ रही है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Vaishakh Amavasya 2025 Date: अमावस्या की तिथि पितरों को समर्पित है। इस बार वैशाख अमावस्या रविवार 27 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर गंगा स्नान कर शिवलिंग का अभिषेक करें और महादेव की पूजा करें। साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान करें।
गुरुड़ पुराण में बताया गया है कि अमावस्या तिथि पर पितरों का तर्पण करने (Vaishakh Amavasya 2025 Puja Vidhi) से पूर्वजों को मोक्ष मिलता है। यदि आपकी भी कुंडली में पितृ दोष है। यदि आप भी अचानक आने वाली आपदाओं, बीमारियों, परेशानियों से जूझ रहे हैं, तो आपको पितृ दोष की शांति करानी चाहिए।
जब किसी भी कारण से पितरों को मुक्ति नहीं मिलती है, तो उनका आशीर्वाद भी नहीं मिलता है। ऐसे में दुख, बाधाएं और कष्ट आने लगते हैं और घर में सुख-समृद्धि चली जाती है। अगर आप भी पितरों को प्रसन्न करना चाहते हैं (Vaishakh Amavasya Pitru Dosh Upay), तो वैशाख अमावस्या पर तर्पण के बाद शिव चालीसा का पाठ करें।
कब मनाएं वैशाख अमावस्या
वैशाख अमावस्या तिथि की शुरुआत 27 अप्रैल 2025 को सुबह 4:49 बजे होगी। अमावस्या तिथि 28 अप्रैल को सुबह 1:00 बजे तक रहेगी। ऐसे में अमावस्या, तर्पण, पिंडदान और पूर्वजों के लिए किए जाने वाले दान को 27 अप्रैल को करना उचित रहेगा।
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वैशाख अमावस्या पर क्या करें
- पितरों की शांति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का पाठ सुनें।
- इसका पाठ सुनने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
- ये उपाय पितृ शांति के साथ-साथ आपकी भी आध्यात्मिक उन्नति करेगा।
- इस दिन प्रातःकाल किसी पवित्र नदी या तीर्थ स्थान में स्नान करें।
- पितरों के लिए तर्पण करके जरूरतमंदों को दान-दक्षिणा दें।
- जरूरतमंद व्यक्तियों को जूते-चप्पल और छाते दान करें।
- किसी मंदिर में धूपबत्ती, घी, तेल, हार-फूल, मिठाई, कुमकुम आदि दान दें।
यदि कहीं न जा सकें, तो क्या करें
यदि आप अमावस्या के दिन किसी पवित्र नदी या तीर्थ स्थान नहीं जा सकें, तो कोई बात नहीं। आप घर पर ही गंगाजल में पानी मिलाकर नहा लें। इसके बाद व्रत करने का संकल्प ले और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा करें। इसके बाद तिल, कुश, जल और दूध लेकर पितरों के नाम पर तर्पण करें। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलेगा और जीवन में आ रही कठिनाइयां दूर होने लगेंगी।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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