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    Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी पूजा में ऐसे करें मां लक्ष्मी को प्रसन्न, धन लाभ के बनेंगे योग

    मार्गशीर्ष माह में उत्पन्ना एकादशी व्रत 26 नवंबर (Utpanna Ekadashi 2024 Date) को किया जाएगा। एकादशी तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी उपासना करने का विधान है। साथ ही सभी सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। चलिए जानते हैं उत्पन्ना एकादशी पर मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न किया जा सकता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 25 Nov 2024 05:39 PM (IST)
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    Utpanna Ekadashi 2024: मां लक्ष्मी की ऐसे करें कृपा प्राप्त

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर व्रत किया जाता है। ऐसी मान्यता है कि विधिपूर्वक व्रत करने से जातक को सभी तरह के पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। अगर आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2024 Vrat) के दिन पूजा के समय अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtalakshmi Stotram Lyrics) का पाठ और तुलसी माता के मंत्रो (Tulsi Mantra) का जप करें। इससे जातक को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा। साथ ही धन लाभ के योग बनेंगे।

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    अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

    ॥ आदिलक्ष्मि ॥

    सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये

    मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।

    पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥1॥

    ॥ धान्यलक्ष्मि ॥

    अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणि वेदमये

    क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि,मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।

    मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि,देवगणाश्रित पादयुते

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम्॥2॥

    ॥ धैर्यलक्ष्मि ॥

    जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि,मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये

    सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद,ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते।

    भवभयहारिणि पापविमोचनि,साधुजनाश्रित पादयुते

    जय जय हे मधुसूधन कामिनि,धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम्॥3॥

    यह भी पढ़ें: Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी पर अवश्य करें ये 4 काम, जिन्हें करने से मिलेगा व्रत का दोगुना फल

    ॥ गजलक्ष्मि ॥

    जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि,सर्वफलप्रद शास्त्रमये

    रधगज तुरगपदाति समावृत,परिजनमण्डित लोकनुते।

    हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,तापनिवारिणि पादयुते

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥4॥

    ॥ सन्तानलक्ष्मि ॥

    अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि,रागविवर्धिनि ज्ञानमये

    गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,स्वरसप्त भूषित गाननुते।

    सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुते

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥5॥

    ॥ विजयलक्ष्मि ॥

    जय कमलासनि सद्गतिदायिनि,ज्ञानविकासिनि गानमये

    अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर,भूषित वासित वाद्यनुते।

    कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,शङ्कर देशिक मान्य पदे

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विजयलक्ष्मी सदा पालय माम्॥6॥

    ॥ विद्यालक्ष्मि ॥

    प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि,शोकविनाशिनि रत्नमये

    मणिमयभूषित कर्णविभूषण,शान्तिसमावृत हास्यमुखे।

    नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि,कामित फलप्रद हस्तयुते

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्॥7॥

    ॥ धनलक्ष्मि ॥

    धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि,दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये

    घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम,शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।

    वेदपूराणेतिहास सुपूजित,वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते

    जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम्॥8॥

    तुलसी जी के मंत्र -

    महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।

    तुलसी गायत्री -

    ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।

    तुलसी स्तुति मंत्र -

    देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः

    नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।

    तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।

    धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।

    लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।

    तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।

    तुलसी नामाष्टक मंत्र -

    वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।

    पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।

    एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।

    य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।

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