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    Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी पर जरूर करें ये काम, शुभ फल की होगी प्राप्त

    Updated: Tue, 26 Nov 2024 10:04 AM (IST)

    एकादशी तिथि अपने आप में एक बड़े पर्व की तरह होता है। इस शुभ तिथि पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है। इस साल उत्पन्ना एकादशी (Utpanna Ekadashi 2024) आज यानी 26 नवंबर को मनाई जा रही है तो आइए इस दिन किए जाने वाले कुछ विशेष कार्यों के बारे में जानते हैं जिन्हें करने से व्रत का पूरा फल मिलता है।

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    Utpanna Ekadashi 2024: उत्पन्ना एकादशी पर अवश्य करें ये शुभ काम।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। यह दिन पूरी तरह से जगत के पालनहार भगवान विष्णु और धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए समर्पित है। भक्त श्रीहरि के भक्त व्रत को पूरी श्रद्धा के साथ रखते हैं और उनकी पूजा करते हैं। इसके साथ ही द्वादशी तिथि के दिन अपने व्रत का पारण करते हैं। पंचांग के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि (Utpanna Ekadashi 2024) आज यानी 26 नवंबर 2024 के दिन मनाई जा रही है। वहीं, इस शुभ तिथि पर अगर कुछ ऐसे शुभ कार्य हैं, जिन्हें जरूर करना चाहिए।

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    इससे व्रत का शुभ परिणाम (Religious Significance Of Utpanna Ekadashi) मिलता है और दोगुना फल ( Utpanna Ekadashi Fasting Benefits) की प्राप्ति होती है, तो चलिए उन महत्वपूर्ण कार्यों के बारे में जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

    उत्पन्ना एकादशी पर अवश्य करें ये शुभ काम (Do This Auspicious Work On Utpanna Ekadashi)

    एकादशी के दिन भगवान शिव की पूजा करें। उन्हें दूध मिश्रित जल चढ़ाएं। बेल पत्र, धतूरा, भांग, हार-फूल और चंदन से शिव जी का शृंगार करें। शिवलिंग के सामने घी का दीपक जलाएं और 'ऊँ नम: शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करें।

    इस पावन दिन पर लड्डू गोपाल का अभिषेक करें। फिर उन्हें माखन-मिश्री का भोग लगाएं। भोग में तुलसी पत्र जरूर शामिल करें। वहीं, पूजा का समापन आरती से करें।

    एकादशी के मौके पर किसी हनुमान मंदिर में जाएं और दीपक जलाएं। फिर हनुमान चालीसा का पाठ भाव के साथ करें।

    उत्पन्ना एकादशी पूजा विधि (Utpanna Ekadashi 2024 Ki Puja Niyam)

    सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। एक चौकी पर विष्णु जी और माता लक्ष्मी की प्रतिमा स्थापित करें। पंचामृत और गंगाजल से उनका अभिषेक करें। उन्हें पीले वस्त्र अर्पित करें। गोपी चंदन व कुमकुम का तिलक लगाएं। दीपक जलाएं और उन्हें फूल-माला आदि अर्पित करें। पांच मौसमी फल, सूखे मेवे, पंजीरी-पंचामृत और मिठाई का भोग लगाएं। भोग में तुलसी पत्र अवश्य शामिल करें।

    श्री हरि के वैदिक मंत्रों का जाप और विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। आरती से पूजा का समापन करें। तामसिक चीजों से पूरी तरह परहेज करें।

    भगवान विष्णु के पूजा मंत्र (Ekadashi 2024 Pujan Mantra)

    • ॐ नमो नारायण। श्री मन नारायण नारायण हरि हरि।
    • श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे। हे नाथ नारायण वासुदेवाय।।
    • ॐ नारायणाय विद्महे। वासुदेवाय धीमहि। तन्नो विष्णु प्रचोदयात्।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।