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    Surya Dev: रविवार को इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, जीवन के दुखों से मिलेगा छुटकारा

    Updated: Sat, 27 Apr 2024 08:00 PM (IST)

    शास्त्रों के अनुसार सूर्य देव की पूजा करने से सुख-समृद्धि के साथ हर काम में सफलता हासिल होती है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से इंसान को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि रविवार के दिन सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन के दुख दूर होते हैं।

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    Surya Dev: रविवार को इस विधि से करें सूर्य देव की पूजा, जीवन के दुखों से मिलेगा छुटकारा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Surya Dev Puja Vidhi: हिंदू धर्म में रविवार के दिन भगवान सूर्य देव की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही अर्घ्य देना उत्तम माना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से इंसान को आरोग्य जीवन का वरदान प्राप्त होता है। साथ ही मान-सम्मान में वृद्धि होती है। ऐसा माना जाता है कि रविवार के दिन सूर्य देव की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन के दुख दूर होते हैं। साथ ही सूर्य देव प्रसन्न होते हैं। पूजा के दौरान प्रभु की आरती अवश्य करनी चाहिए। बिना आरती किए पूजा अधूरी रहती है।

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    सूर्य देव पूजा विधि

    रविवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें और इसमें लाल चंदन और लाल रंग के फूल डालकर अवश्य डालें। साथ ही 'ऊं सूर्याय नम:' मंत्र का जाप करें। देशी घी का दीपक जलाकर प्रभु की आरती करें और अंत में भोग लगाएं। मान्यता है कि ऐसा करने से इंसान को बीमारियों से मुक्त मिलती है।

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    ।। भगवान सूर्य की आरती ।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी। तुम चार भुजाधारी।।

    अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे। तुम हो देव महान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते। सब तब दर्शन पाते।।

    फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा। करे सब तब गुणगान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते। गोधन तब घर आते।।

    गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में। हो तव महिमा गान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते। आदित्य हृदय जपते।।

    स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी। दे नव जीवनदान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार। महिमा तब अपरम्पार।।

    प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते। बल, बुद्धि और ज्ञान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं। सब जीवों के प्राण तुम्हीं।।

    वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने। तुम ही सर्वशक्तिमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल। तुम भुवनों के प्रतिपाल।।

    ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी। शुभकारी अंशुमान।।

    ।।ॐ जय सूर्य भगवान...।।

    ॐ जय सूर्य भगवान, जय हो दिनकर भगवान।

    जगत् के नेत्रस्वरूपा, तुम हो त्रिगुण स्वरूपा।स्वरूपा।।

    धरत सब ही तव ध्यान, ॐ जय सूर्य भगवान।।

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    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।