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    Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर जरूर करें ये काम, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी और काल भैरव होंगे प्रसन्न

    वैशाख महीने में मासिक कालाष्टमी 01 मई को मनाई जाएगी। इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा होती है जो महादेव का उग्र स्वरूप हैं। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। इस बार कालाष्टमी 01 मई को है। अगर आप भी काल भैरव को प्रसन्न करना चाहते हैं तो कालाष्टमी के दिन पूजा के दौरान काल भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ जरूर करें।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 27 Apr 2024 02:54 PM (IST)
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    Kalashtami 2024: कालाष्टमी पर जरूर करें ये काम, सभी मनोकामनाएं होंगी पूरी और काल भैरव होंगे प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Kalashtami 2024: मासिक कालाष्टमी का पर्व भगवान शिव के उग्र स्वरूप काल भैरव को समर्पित है। हर माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। इस खास अवसर पर काल भैरव की विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। इस बार कालाष्टमी 01 मई को है। मान्यता है कि कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से साधक को भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। अगर आप भी काल भैरव को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो कालाष्टमी के दिन पूजा के दौरान काल भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ जरूर करें। माना जाता है कि काल भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ करने से प्रभु प्रसन्न होते हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। आइए पढ़ते हैं भैरव अष्टक स्तोत्र का पाठ।

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    काल भैरव अष्टक

    देवराजसेव्यमानपावनांघ्रिपङ्कजं

    व्यालयज्ञसूत्रमिन्दुशेखरं कृपाकरम्।

    नारदादियोगिवृन्दवन्दितं दिगंबरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भानुकोटिभास्वरं भवाब्धितारकं परं

    नीलकण्ठमीप्सितार्थदायकं त्रिलोचनम्।

    कालकालमंबुजाक्षमक्षशूलमक्षरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    शूलटङ्कपाशदण्डपाणिमादिकारणं

    श्यामकायमादिदेवमक्षरं निरामयम्।

    भीमविक्रमं प्रभुं विचित्रताण्डवप्रियं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भुक्तिमुक्तिदायकं प्रशस्तचारुविग्रहं

    भक्तवत्सलं स्थितं समस्तलोकविग्रहम्।

    विनिक्वणन्मनोज्ञहेमकिङ्किणीलसत्कटिं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    धर्मसेतुपालकं त्वधर्ममार्गनाशकं

    कर्मपाशमोचकं सुशर्मदायकं विभुम्।

    स्वर्णवर्णशेषपाशशोभिताङ्गमण्डलं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    रत्नपादुकाप्रभाभिरामपादयुग्मकं

    नित्यमद्वितीयमिष्टदैवतं निरंजनम्।

    मृत्युदर्पनाशनं करालदंष्ट्रमोक्षणं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    अट्टहासभिन्नपद्मजाण्डकोशसंततिं

    दृष्टिपातनष्टपापजालमुग्रशासनम्।

    अष्टसिद्धिदायकं कपालमालिकाधरं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

    भूतसंघनायकं विशालकीर्तिदायकं

    काशिवासलोकपुण्यपापशोधकं विभुम्।

    नीतिमार्गकोविदं पुरातनं जगत्पतिं

    काशिकापुराधिनाथकालभैरवं भजे॥॥

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी'।