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    Masik Kalashtami 2024: मार्च में कब है कालाष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    मासिक कालाष्टमी व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार मासिक कालाष्टमी 03 मार्च को है। इस विशेष तिथि पर भगवान शिव के उग्र स्वरूप कालभैरव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करने से इंसान को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है।

    By Kaushik SharmaEdited By: Kaushik SharmaUpdated: Sun, 25 Feb 2024 05:45 PM (IST)
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    Masik Kalashtami 2024: मार्च में कब है कालाष्टमी? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजा विधि

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Masik Kalashtami 2024 Date: हिंदू धर्म में कालाष्टमी पर्व का विशेष महत्व है। यह व्रत प्रत्येक महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को किया जाता है। इस बार मासिक कालाष्टमी 03 मार्च को है। इस विशेष तिथि पर भगवान शिव के उग्र स्वरूप कालभैरव की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना करने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा और व्रत करने से इंसान को जीवन के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है। साथ ही घर में सुख और शांति का आगमन होता है। आइए जानते हैं कालाष्टमी का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।

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    कालाष्टमी 2024 का शुभ मुहूर्त

    कालाष्टमी तिथि का अहम महत्व है। पंचांग के अनुसार, कालाष्टमी तिथि की शुरुआत 03 को मार्च को सुबह 08 बजकर 44 मिनट पर होगी और इसके अगले दिन यानी 04 मार्च को सुबह 08 बजकर 49 मिनट पर तिथि का समापन होगा। ऐसे में कालाष्टमी 03 को मार्च को मनाई जाएगी।

    कालाष्टमी पूजा विधि

    • इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठे और दिन की शुरुआत भगवान कालभैरव के ध्यान से करें।
    • इसके बाद स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें।
    • मंदिर की सफाई करें और गंगाजल का छिड़काव कर शुद्ध करें।
    • अब चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर भगवान काल भैरव की प्रतिमा स्थापित करें।
    • इसके बाद दीपक जलाकर भगवान की आरती करें और काल भैरव अष्टक का पाठ करें। साथ ही भगवान से जीवन में सुख और शांति के लिए प्रार्थना करें।
    • अब भगवान कालभैरव को विशेष चीजों का भोग लगाएं।
    • इसके पश्चात लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
    • शाम को भक्त सात्विक भोजन से ही अपना व्रत खोलें।

    कालाष्टमी पूजां मंत्र

    1. ॐ ह्रीं वं भैरवाय नमः

    2. 'भैरवाय नमः'

    3. ॐ बतुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बतुकाय हुं फट् स्वाहा

    4.ॐ ह्रीं बगलामुखाय पंचास्य स्तम्भय स्तम्भय मोहय मोहय मायामुखायै हुं फट् स्वाहा

    5.भैरवाय नमस्कृतोऽस्तु भैरवाय स्वाहा

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    डिसक्लेमर: 'इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'