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    Somvati Amavasya 2024: शिव मृत्युंजय स्तोत्र के पाठ से सभी परेशानियां होंगी दूर, महादेव की बरसेगी कृपा

    सनातन धर्म में सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024) व्रत का विशेष महत्व है। इस वर्ष पौष माह के अमावस्या के दिन सोमवार पड़ रहा है तो ऐसे में इस दिन सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी। इस शुभ अवसर पर श्रीहरि और पितरों के संग महादेव की पूजा की जाएगी। इससे व्यक्ति के सभी संकट दूर होंगे और पितरों की कृपा प्राप्त होगी।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 28 Dec 2024 03:33 PM (IST)
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    Somvati Amavasya 2024: पितरों को समर्पित है अमावस्या

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, पौष माह में सोमवती अमावस्या व्रत 30 दिसंबर के दिन रखा जाएगा। धार्मिक मान्यता है कि अमावस्या के दिन पवित्र ने नदी स्नान और दान करने से संकटो से छुटकारा मिलता है। साथ ही श्राद्ध कर्म, तर्पण करने से सुख एवं समृद्धि की प्राप्ति होती है। इस दिन शिव मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे कारोबार में वृद्धि होगी और डर से छुटकारा मिलेगा।

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    ॥ शिव मृत्युंजय स्तोत्र ॥

    रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं

    शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।

    क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवंदितं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥1॥

    पंचपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं

    भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम्।

    भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशिनं भवमव्ययं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥2॥

    मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं

    पंकजासनपद्मलोचनपूजितांगघ्रिसरोरुहम्।

    देवसिद्धतरंगिणी करसिक्तशीतजटाधरं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥3॥

    कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं

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    नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम्।

    अंधकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥4॥

    यक्षराजसखं भगाक्षिहरं भुजंगविभूषणं

    शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम्।

    क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं

    सुख-समृद्धि में वृद्धि के लिए अमावस्या की रात को पान का पत्ता लेकर उसपर हल्दी से देवी मां का एकाक्षरी मंत्र 'श्रीं' लिखें। इसके बाद इसे मां लक्ष्मी के चरणों में रखें। मान्यता है कि इस उपाय को करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और धन के योग बनते हैं।

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥5॥

    भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं

    दक्षयज्ञविनाशिनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्।

    भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसंघनिबर्हणं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥6॥

    भक्तवत्सलमर्चतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं

    सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनूपमम्।

    भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वाकृतिं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥7॥

    विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं

    संहरन्तमथ प्रपंचमशेषलोकनिवासिनम्।

    क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमाव्रतं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥8॥

    रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥9॥

    कालकण्ठं कलामूर्तिं कालाग्निं कालनाशनम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥10॥

    नीलकण्ठं विरुपाक्षं निर्मलं निरूपद्रवम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥11॥

    वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥12॥

    देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥13॥

    अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥14॥

    आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥15॥

    स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥16॥

    ॥ इति श्रीपद्मपुराणान्तर्गत उत्तरखण्डे श्रीमृत्युञ्जयस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।