Skanda Sashti 2025: स्कंद षष्ठी की पूजा में जरूर करें कार्तिकेय जी की आरती व मंत्रों का जप
हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि पर स्कंद षष्ठी का व्रत किया जाता है। यह तिथि मुख्य रूप से भगवान स्कंद अर्थात भगवान कार्तिकय की पूजा-अर्चना के लिए समर्पित मानी गई है। ऐसा माना जाता है कि इस तिथि पर भगवान कार्तिकय का जन्म हुआ था। यह भी मान्यता है कि इस दिन पूजा-अर्चना से ग्रह दोष शांत हो सकते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। दक्षिण भारत में स्कंद षष्ठी का पर्व बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन श्रद्धालु स्कंद भगवान के निमित्त व्रत करते हैं और पूजा-अर्चना करते हैं। भगवान स्कंद को मुरुगन और सुब्रहमन्य के नाम से भी जाना जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विशेष रूप से पूजा-अर्चना करने से घर-परिवार में सुख-समृद्धि का माहौल बना रहता है। ऐसे में आइए पढ़ते हैं भगवान कार्तिकेय की आरती व मंत्र।
स्कंद षष्ठी का शुभ मुहूर्त (Skanda Sashti 2025 Shubh Muhurat)
पौष शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि की शुरुआत 04 जनवरी को रात 10 बजे हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 05 जनवरी को रात 08 बजकर 05 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, स्कंद षष्ठी रविवार, 05 जनवरी 2025 को मनाई जाएगी।
कार्तिकेय जी की आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोरा
जय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्याम
जय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
सदाशिव उमा महेश्वर
जय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मी
जय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ता
जय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतार
जय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेश
जय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय
स्कंद षष्ठी पर भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र भगवान कार्तिकेय की पूजा-अर्चना की जाती है। भगवान कार्तिकेय को देवताओं के सेनापति के रूप में भी जाना जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से तमिल हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है और यह माना जाता है कि इस दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा से जीवन की बड़ी-से-बड़ी बाधा दूर हो जाती है।
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शत्रु नाशक मंत्र -
ऊं शारवाना-भावाया नमः
ज्ञानशक्तिधरा स्कंदा वल्लीईकल्याणा सुंदरा
देवसेना मनः काँता कार्तिकेया नामोस्तुते
ऊं सुब्रहमणयाया नमः
कार्तिकेय गायत्री मंत्र - ओम तत्पुरुषाय विधमहे: महा सैन्या धीमहि तन्नो स्कन्दा प्रचोद्यात:
कार्तिकेय स्तोत्र
योगीश्वरो महासेनः कार्तिकेयोऽग्निनन्दनः।
स्कंदः कुमारः सेनानी स्वामी शंकरसंभवः॥
गांगेयस्ताम्रचूडश्च ब्रह्मचारी शिखिध्वजः।
तारकारिरुमापुत्रः क्रोधारिश्च षडाननः॥
शब्दब्रह्मसमुद्रश्च सिद्धः सारस्वतो गुहः।
सनत्कुमारो भगवान् भोगमोक्षफलप्रदः॥
शरजन्मा गणाधीशः पूर्वजो मुक्तिमार्गकृत्।
सर्वागमप्रणेता च वांछितार्थप्रदर्शनः ॥
अष्टाविंशतिनामानि मदीयानीति यः पठेत्।
प्रत्यूषं श्रद्धया युक्तो मूको वाचस्पतिर्भवेत् ॥
महामंत्रमयानीति मम नामानुकीर्तनात्।
महाप्रज्ञामवाप्नोति नात्र कार्या विचारणा ॥
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