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    Shukra Pradosh Vrat 2025: शुक्र प्रदोष व्रत किसको करना चाहिए और कैसे करें जानिए सब कुछ

    हर माह की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस दिन प्रदोष काल में विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत को करने से सुख सौभाग्य धन ऐश्वर्य और संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं पूरी हो जाता हैं।

    By Shashank Shekhar Bajpai Edited By: Shashank Shekhar Bajpai Updated: Fri, 25 Apr 2025 08:42 AM (IST)
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    शुक्रवार के दिन इस व्रत के पड़ने से इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Shukra Pradosh Vrat 2025: भावी मेट सकें त्रिपुरारी, यानी भगवान शिव भविष्य को बदल सकते हैं। जो विधाता ने भी नहीं दिया है, वह भोले भंडारी दे सकते हैं। इसलिए सावन के सोमवार हों या शिवरात्रि, हर हिंदू भक्त भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए हर संभव तरीके से पूजन पाठ करता है। इसके अलावा हर माह की त्रयोदशी तिथि पर भगवान शिव को प्रसन्न करने और उनकी कृपा पाने के लिए प्रदोष व्रत रखा जाता है।

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    इस दिन प्रदोष काल में विधि-विधान से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं। इस व्रत को करने से सुख, सौभाग्य, धन, ऐश्वर्य और संतान प्राप्ति की मनोकामनाएं पूरी हो जाता हैं। वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल 2025 को शुक्रवार के दिन पड़ रहा है।

    शुक्रवार के दिन इस व्रत के पड़ने से इसे शुक्र प्रदोष व्रत कहा जाएगा। शुक्रवार के दिन प्रदोष के व्रत को करने से विशेष रूप से यदि किसी को धन की समस्या चल रही है या विवाह संबंधी परेशानी चल रही है (Who Should Observe Shukra Pradosh Vrat), तो उसे लाभ मिलेगा। साथ ही जीवन में अध्यात्म को शामिल करने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार भी होगा।

    25 या 26 अप्रैल, कब रखें व्रत

    अप्रैल महीने का दूसरा और वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल शुक्रवार को सुबह 11:44 बजे से शुरू होगा। यह 26 अप्रैल शनिवार को सुबह 8:27 बजे तक रहेगी। ऐसे में वैशाख माह का पहला प्रदोष व्रत 25 अप्रैल शुक्रवार को रखा जाएगा। इस दिन इंद्र योग और शिववास योग का निर्माण हो रहा है।

    प्रदोष काल में करें पूजा

    शुक्र प्रदोष व्रत की पूजा (How To Do Pradosh Vrat) का प्रदोष काल में करें। बताते चलें कि प्रदोष काल सूर्यास्त से करीब 45 मिनट पहले शुरू होकर सूर्यास्त के 45 मिनट बाद तक रहता है। 25 अप्रैल को प्रदोष काल शाम 6:53 मिनट से लेकर रात 9:10 मिनट तक रहेगा। शुक्र प्रदोष की कथा पढ़ने के बाद आरती करें।

    पूजा विधि

    सुबह नित्य कर्मों से निवृत्त होकर स्नानादि कर शिव जी का पूजन करें।

    पूरे दिन निराहार रहते हुए यथा संभव ॐ नम: शिवाय का जाप करें।

    सूर्यास्त के बाद फिर से स्नान करके भगवान शिव का षोडषोपचार पूजन करें।

    नैवेद्य में सफेद मिठाई, घी एवं शकर का भोग लगाएं।

    नंदी को जल एवं दूर्वा खिलाकर स्पर्श करें।

    अंत में शिव जी की आरती के बाद प्रसाद बांटें फिर भोजन ग्रहण करें।

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    व्रत कथा पढ़ने के बाद करें ये आरती

    ॐ जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा।

    ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे।

    हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी।

    त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे।

    सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका।

    प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा।

    भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला।

    शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    काशी में विश्वनाथ विराजे, नंदी ब्रह्मचारी।

    नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

    त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे।

    कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥

    ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।