Hanuman ji: 'अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता' क्यों कहे जाते हैं हनुमान जी, यहां जानें वजह
हनुमान जी 8 चिरनजीवियों में से भी एक हैं जिन्हें अमरता का वरदान प्राप्त है। तुलसीदास द्वारा रचित हनुमान चालीसा एक लोकप्रिय कृति है जिसमें मुख्य रूप से हनुमान जी के गुणों का वर्णन मिलता है। हनुमान चालीसा में हनुमान जी को अष्ट सिद्धि और नौ निधि के दाता कहा गया है। ऐसे में चलिए जानते हैं वह अष्ट सिद्धि और नौ निधि कौन-सी हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हनुमान जी को मुख्य रूप से भगवान श्रीराम के भक्त के रूप में जाना जाता है। कई भक्त रोजाना, खासकर मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। आपने हनुमान चालीसा में यह दोहा तो जरूर पढ़ा होगा 'अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता, अस बर दीन जानकी माता', लेकिन क्या आप उन अष्ट सिद्धि और नव निधि के नाम जानते हैं? अगर नहीं, तो चलिए पढ़ते हैं इस बारे में।
अष्ट सिद्धि
मार्कंडेय पुराण और ब्रह्मवैवर्त पुराण में भी अष्ट सिद्धियों का उल्लेख मिलता है, जो इस प्रकार हैं -
- अणिमा - इस सिद्धि में हनुमान जी कभी भी खुद को इतने सूक्ष्म रूप में परिवर्तित कर सकते हैं, कि उन्हें नग्न आंखों से देखा न जा सके।
- महिमा - इस सिद्धि में हनुमान जी विशाल रूप धारण कर सकते हैं, अर्थात अपने शरीर को किसी भी सीमा तक फैला सकते हैं।
- गरिमा - इस सिद्धि में बजरंगबली खुद के भार को किसी विशाल पर्वत के समान ही बढ़ा सकते हैं।
- लघिमा - इस सिद्धि से हनुमान जी स्वयं का वजन बिल्कुल न के बराबर कर सकते हैं।
- प्राप्ति - इस सिद्धि की मदद से हनुमान जी बिना किसी की नजर में आए किसी भी स्थान पर आ-जा सकते हैं।
- प्राकाम्य - इसी सिद्धि की मदद से हनुमान जी पृथ्वी गहराइयों से लेकर आकाश तक जा सकते हैं। तब जक चाहें पानी में जीवित रह सकते हैं।
- ईशित्व - इस सिद्धि में हनुमान जी को दैवीय शक्तियां प्राप्त हैं अर्थात उन्हें भगवान की उपाधि प्राप्त हुई है।
- वशित्व - इस सिद्धि की सहायता से हनुमान जी को अपनी सभी इंद्रियों पर नियंत्रण प्राप्त है, अर्थात वह जितेंद्रिय हैं।
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नव निधि के नाम
- पद्म निधि - इस निधि का प्रभाव सात पीढ़ियों तक रहता है, जो ज्ञान और बुद्धि का खजाना है। इस निधि के धारक में सत्व और रज गुण दोनों होते हैं।
- महापद्म निधि - ये सात्विक तरीके से कमाई जाने वाले समृद्धि, धन संपदा और भौतिक सुख होते हैं। साथ ही इसमें दान करने की क्षमता भी आती है।
- नील निधि - निल निधि से सुशोभित मनुष्य सात्विक तेज से संयुक्त होता है। उसकी संपति तीन पीढ़ी तक रहती है।
- मुकुंद निधि - मुकुन्द निधि में व्यक्ति खजाने का प्रतिनिधित्व करता है। इसी के साथ यह निधि भावनात्मक कल्याण में भी योगदान करती है।
- नंद निधि - नंद निधि दिव्य सुरक्षा का प्रतीक है। इसी के साथ यह नकारात्मकता और बाधाओं को दूर करने की शक्ति भी प्रदान करती है।
- मकर निधि - इस निधि में व्यक्ति रचनात्मकता का प्रतिनिधित्व करता है।
- कच्छप निधि - जैसा कि नाम से ही ज्ञात होता है, इस निधि में व्यक्ति अपनी संपत्ति को एक कछुए के समान अपनी सुरक्षा में रखता है।
- शंख निधि - शंख निधि एक पीढ़ी के लिए होती है, जो संचार की शक्ति और स्पष्टता के साथ-साथ खुद को व्यक्त करने की क्षमता का भी प्रतिनिधित्व करती है।
- खारवा निधि - यह निधि सभी प्रकार की भौतिक संपदा और समृद्धि का प्रतिनिधित्व करती है।
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