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    Radha Stotra: बुधवार के दिन पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी कष्टों से मिलेगी निजात

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Tue, 12 Sep 2023 06:26 PM (IST)

    Radha Stotra धार्मिक मत है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने वाले साधक को मृत्यु लोक में ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। राधा रानी की कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी राधा रानी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं तो बुधवार के दिन पूजा के समय श्रीराधा स्तोत्र का पाठ करें।

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    Radha Stotra: बुधवार के दिन पूजा के समय करें इस स्तोत्र का पाठ, सभी कष्टों से मिलेगी निजात

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Radha Stotra: बुधवार के दिन जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी की विशेष पूजा की जाती है। यह दिन भगवान श्रीकृष्ण और गणेश को समर्पित होता है। धार्मिक मत है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने वाले साधक को मृत्यु लोक में ही स्वर्ग समान सुखों की प्राप्ति होती है। राधा रानी की कृपा से साधक के जीवन में व्याप्त सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप भी राधा रानी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो बुधवार के दिन पूजा के समय श्रीराधा स्तोत्र का पाठ करें। इस स्तोत्र के पाठ से जातक को सभी कष्टों से निजात मिलती है। आइए, राधा स्तोत्र का पाठ करें-

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    श्री राधा कपाट स्तोत्र

    मुनीन्दवृन्दवन्दिते त्रिलोकशोकहारिणी,

    प्रसन्नवक्त्रपंकजे निकंजभूविलासिनी।

    व्रजेन्दभानुनन्दिनी व्रजेन्द सूनुसंगते,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    अशोकवृक्ष वल्लरी वितानमण्डपस्थिते,

    प्रवालज्वालपल्लव प्रभारूणाङि्घ् कोमले।

    वराभयस्फुरत्करे प्रभूतसम्पदालये,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥

    अनंगरंगमंगल प्रसंगभंगुरभ्रुवां,

    सुविभ्रमं ससम्भ्रमं दृगन्तबाणपातनैः।

    निरन्तरं वशीकृत प्रतीतनन्दनन्दने,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥

    तड़ित्सुवर्ण चम्पक प्रदीप्तगौरविग्रहे,

    मुखप्रभा परास्त-कोटि शारदेन्दुमण्ङले।

    विचित्रचित्र-संचरच्चकोरशाव लोचने,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष भाजनम्॥

    मदोन्मदाति यौवने प्रमोद मानमण्डिते,

    प्रियानुरागरंजिते कलाविलासपणि्डते।

    अनन्य धन्यकुंजराज कामकेलिकोविदे,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा-कटाक्ष-भाजनम्॥

    अशेषहावभाव धीरहीर हार भूषिते,

    प्रभूतशातकुम्भकुम्भ कुमि्भकुम्भसुस्तनी।

    प्रशस्तमंदहास्यचूर्ण पूर्ण सौख्यसागरे,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    मृणाल वालवल्लरी तरंग रंग दोर्लते ,

    लताग्रलास्यलोलनील लोचनावलोकने।

    ललल्लुलमि्लन्मनोज्ञ मुग्ध मोहनाश्रिते

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    सुवर्ण्मालिकांचिते त्रिरेख कम्बुकण्ठगे,

    त्रिसुत्रमंगलीगुण त्रिरत्नदीप्ति दीधिते।

    सलोल नीलकुन्तले प्रसूनगुच्छगुम्फिते,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    नितम्बबिम्बलम्बमान पुष्पमेखलागुण,

    प्रशस्तरत्नकिंकणी कलापमध्यमंजुले।

    करीन्द्रशुण्डदण्डिका वरोहसोभगोरुके,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    अनेकमन्त्रनादमंजु नूपुरारवस्खलत्,

    समाजराजहंसवंश निक्वणाति गौरवे,

    विलोलहेमवल्लरी विडमि्बचारू चक्रमे,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    अनन्तकोटिविष्णुलोक नम्र पदम जार्चिते,

    हिमद्रिजा पुलोमजा-विरंचिजावरप्रदे।

    अपार सिद्धिऋद्धि दिग्ध -सत्पदांगुलीनखे,

    कदा करिष्यसीह मां कृपा कटाक्ष भाजनम्॥

    मखेश्वरी क्रियेश्वरी स्वधेश्वरी सुरेश्वरी,

    त्रिवेदभारतीश्वरी प्रमाणशासनेश्वरी।

    रमेश्वरी क्षमेश्वरी प्रमोदकाननेश्वरी,

    ब्रजेश्वरी ब्रजाधिपे श्रीराधिके नमोस्तुते॥

    इतीदमतभुतस्तवं निशम्य भानुननि्दनी,

    करोतु संततं जनं कृपाकटाक्ष भाजनम्।

    भवेत्तादैव संचित त्रिरूपकर्मनाशनं,

    लभेत्तादब्रजेन्द्रसूनु मण्डल प्रवेशनम्॥

    राकायां च सिताष्टम्यां दशम्यां च विशुद्धधीः ।

    एकादश्यां त्रयोदश्यां यः पठेत्साधकः सुधीः ॥

    यं यं कामयते कामं तं तमाप्नोति साधकः ।

    राधाकृपाकटाक्षेण भक्तिःस्यात् प्रेमलक्षणा ॥

    ऊरुदघ्ने नाभिदघ्ने हृद्दघ्ने कण्ठदघ्नके ।

    राधाकुण्डजले स्थिता यः पठेत् साधकः शतम् ॥

    तस्य सर्वार्थ सिद्धिः स्याद् वाक्सामर्थ्यं तथा लभेत् ।

    ऐश्वर्यं च लभेत् साक्षाद्दृशा पश्यति राधिकाम् ॥

    तेन स तत्क्षणादेव तुष्टा दत्ते महावरम् ।

    येन पश्यति नेत्राभ्यां तत् प्रियं श्यामसुन्दरम् ॥

    नित्यलीला प्रवेशं च ददाति श्री व्रजाधिपः ।

    अतः परतरं प्रार्थ्यं वैष्णवस्य न विद्यते ॥

    डिस्क्लेमर-''इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना में निहित सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्म ग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारी आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना के तहत ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।'