Navratri 2025: इन दिव्य मंत्रों के जप से करें मां कूष्मांडा को प्रसन्न, पूरी होगी मनचाही मुराद
सनातन शास्त्रों में निहित है कि ब्रह्माण्ड की रचना देवी मां कूष्मांडा ने की है। भक्तजन की महज पूजा और भक्ति से देवी मां प्रसन्न हो जाती हैं। अपनी कृपा भक्तजनों पर बरसाती हैं। उनकी कृपा से साधकों के जीवन में सुख और शांति बनी रहती है। शारदीय नवरात्र के दौरान मंदिरों में देवी मां दुर्गा की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 26 सितंबर को शारदीय नवरात्र का चौथा दिन है। इस शुभ अवसर पर जगत की देवी मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। साथ ही देवी मां कूष्मांडा की कृपा पाने के लिए व्रत रखा जाता है। मां कूष्मांडा की पूजा करने से साधक को जीवन में सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी प्रकार के aसंकटों से मुक्ति मिलती है।
सनातन शास्त्रों में मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की महिमा का गुणगान विस्तार पूर्वक किया गया है। मां कूष्मांडा सूर्य लोक में निवास करती हैं। मां के मुखमंडल पर कांतिमय आभा झलकती है। इससे समस्त लोक प्रकाशित होता है। मां अपने भक्तों का उद्धार और दुष्टों का संहार करती हैं।
उनकी कृपा से भक्तों के जीवन में मंगल ही मंगल होता है। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो चैत्र नवरात्र के चौथे दिन (Shardiya Navratri 2025 Day 4) विधि-विधान से मां कूष्मांडा की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें और पूजा के अंत में ये आरती करें।
मंत्र
ॐ देवी कूष्माण्डायै नमः॥
सुरासम्पूर्ण कलशं रुधिराप्लुतमेव च।
दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥
स्तुति
या देवी सर्वभूतेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु लक्ष्मीरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु तुष्टिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु दयारूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु बुद्धिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
या देवी सर्वभूतेषु शांतिरूपेण संस्थिता,
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
ध्यान
वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्विनीम्॥
भास्वर भानु निभाम् अनाहत स्थिताम् चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।
कमण्डलु, चाप, बाण, पद्म, सुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥
पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥
प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कोमलाङ्गी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥
स्त्रोत
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।
चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहि दुःख शोक निवारिणीम्।
परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
कवच
हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।
हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥
कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,
पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।
दिग्विदिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजम् सर्वदावतु॥
यह भी पढ़ें- Shardiya Navratri की अष्टमी और नवमी तिथि पर यहां जलाएं दीपक, मिलेगी देवी मां की कृपा
यह भी पढ़ें- Shardiya Navratri 2025: नवरात्र में क्या है कन्या पूजन का महत्व, यहां पढ़ें संपूर्ण विधि
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।