Pradosh Vrat 2024: इस स्तोत्र के पाठ से विवाह में आ रही बाधा होगी दूर, नए साल में रिश्ता होगा पक्का
सनातन शास्त्रों में भगवान शिव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व देखने को मिलता है। हर माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन उपासना करने से इंसान को जीवन में सफलता प्राप्त होती है। साथ ही महादेव की कृपा से बिजनेस में वृद्धि होती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, पौष माह में वर्ष 2024 का आखिरी प्रदोष व्रत 28 दिसंबर (Pradosh Vrat 2024 Date) को किया जाएगा। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना संध्याकाल में करने का विधान है। साथ ही सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और सभी मुरादें पूरी करते हैं। इस दिन श्री शिव रक्षा स्तोत्र का पाठ जरूर करना चाहिए। इससे विवाह में आ रही बाधा दूर होगी और जल्द ही रिश्ता पक्का हो सकता है। साथ ही शिव परिवार की कृपा से जीवन में खुशियों का आगमन होगा।
प्रदोष व्रत 2024 शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 दिसंबर को देर रात 02 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 29 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 32 मिनट पर होगा। ऐसे में 28 दिसंबर को प्रदोष व्रत किया जाएगा।
॥ श्री शिव रक्षा स्तोत्र ॥
॥ विनियोग ॥
श्री गणेशाय नमः॥
अस्य श्रीशिवरक्षास्तोत्रमन्त्रस्य याज्ञवल्क्य ऋषिः॥
श्री सदाशिवो देवता॥ अनुष्टुप् छन्दः॥
श्रीसदाशिवप्रीत्यर्थं शिवरक्षास्तोत्रजपे विनियोगः॥
॥ स्तोत्र पाठ ॥
चरितं देवदेवस्य महादेवस्य पावनम्।
अपारं परमोदारं चतुर्वर्गस्य साधनम्॥1॥
गौरीविनायकोपेतं पञ्चवक्त्रं त्रिनेत्रकम्।
शिवं ध्यात्वा दशभुजं शिवरक्षां पठेन्नरः॥2॥
गंगाधरः शिरः पातु भालं अर्धेन्दुशेखरः।
नयने मदनध्वंसी कर्णो सर्पविभूषण॥3॥
घ्राणं पातु पुरारातिः मुखं पातु जगत्पतिः।
जिह्वां वागीश्वरः पातु कंधरां शितिकंधरः॥4॥
श्रीकण्ठः पातु मे कण्ठं स्कन्धौ विश्वधुरन्धरः।
भुजौ भूभारसंहर्ता करौ पातु पिनाकधृक्॥5॥
हृदयं शंकरः पातु जठरं गिरिजापतिः।
नाभिं मृत्युञ्जयः पातु कटी व्याघ्राजिनाम्बरः॥6॥
सक्थिनी पातु दीनार्तशरणागतवत्सलः।
उरू महेश्वरः पातु जानुनी जगदीश्वरः॥7॥
जङ्घे पातु जगत्कर्ता गुल्फौ पातु गणाधिपः।
चरणौ करुणासिंधुः सर्वाङ्गानि सदाशिवः॥8॥
एतां शिवबलोपेतां रक्षां यः सुकृती पठेत्।
स भुक्त्वा सकलान्कामान् शिवसायुज्यमाप्नुयात्॥9॥
ग्रहभूतपिशाचाद्यास्त्रैलोक्ये विचरन्ति ये।
दूरादाशु पलायन्ते शिवनामाभिरक्षणात्॥10॥
अभयङ्करनामेदं कवचं पार्वतीपतेः।
भक्त्या बिभर्ति यः कण्ठे तस्य वश्यं जगत्त्रयम्॥11॥
इमां नारायणः स्वप्ने शिवरक्षां यथाऽऽदिशत्।
प्रातरुत्थाय योगीन्द्रो याज्ञवल्क्यः तथाऽलिखत॥12॥
॥ इति श्रीयाज्ञवल्क्यप्रोक्तं शिवरक्षास्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
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पूजा के दौरान करें इन मंत्रो का जप
शिव मूल मंत्र
ॐ नमः शिवाय॥
रूद्र मंत्र
ॐ नमो भगवते रूद्राय ।
रूद्र गायत्री मंत्र
ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय
धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥
शिव प्रार्थना मंत्र
करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
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