Pradosh Vrat 2024 Mantra: प्रदोष व्रत पर करें मंगलकारी मंत्रों का जप, खुल जाएंगे सफलता के द्वार
प्रदोष व्रत का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। शनि प्रदोष व्रत ((Shani Pradosh Vrat 2024)) करने से निसंतान दंपतियों को पुत्र की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। इसके अलावा घर में खुशियों का आगमन होता है। साधक श्रद्धा भाव से भगवान शिव की पूजा करते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 28 दिसंबर को प्रदोष व्रत है। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत की देवी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त प्रदोष व्रत रखा जाता है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2024) कहलाएगा। इस व्रत को करने से पुत्र दीर्घायु होता है। वहीं, निसंतान दंपति को पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है। साधक प्रदोष व्रत के दिन श्रद्धा भाव से भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करते हैं। वहीं, मनोवांछित फल की प्राप्ति के लिए शनिदेव की उपासना करते हैं। अगर आप भी मनचाहा वर पाना चाहते हैं, तो शनि प्रदोष व्रत के दिन पूजा के समय इन मंत्रों का जप करें।
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पूजा विधि
पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर सुबह सूर्योदय के समय उठें। इस समय भगवान शिव को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। दैनिक कार्यों से निवृत्त (दैनिक काम) होने के बाद स्नान-ध्यान करें। श्वेत यानी सफेद रंग के कपड़े पहनें। अब सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पंचोपचार कर विधि विधान से महादेव की पूजा करें। पूजा के समय शिव और शनि चालीसा और मंत्र का पाठ करें। फल, फूल, धूप, दीप आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के अंत में आरती करें।
मंत्र
1. नीलांजन समाभासं रवि पुत्रं यमाग्रजम ।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम ।।
2. सुर्यपुत्रो दीर्घदेहो विशालाक्ष: शिवप्रिय: ।
दीर्घचार: प्रसन्नात्मा पीडां हरतु मे शनि: ।।
3. ऊँ शन्नोदेवीर भिष्टयऽआपो भवन्तु पीतये शंय्योरभिस्त्रवन्तुनः।
4. ऊँ भगभवाय विद्महैं मृत्युरुपाय धीमहि तन्नो शनिः प्रचोद्यात्
5. ऊँ त्रयम्बकं यजामहे सुगंधिम पुष्टिवर्धनम।
उर्वारुक मिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात।।
6. ध्वजिनी धामिनी चैव कंकाली कलहप्रिहा।
कंकटी कलही चाउथ तुरंगी महिषी अजा।।
शनैर्नामानि पत्नीनामेतानि संजपन् पुमान्।
दुःखानि नाश्येन्नित्यं सौभाग्यमेधते सुखमं।।
7. करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।
विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥
8. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
9. सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके,
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
10. श्री शिवाय नमस्तुभ्यं मंत्रमात्रं जपेन्नरः।
दुःस्वप्नं न भवेत्तत्र सुस्वप्नमुपजायते।।
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