Vinayak Chaturthi 2025: इस आरती के बिना अधूरी है भगवान गणेश की पूजा, बन जाएंगे सारे बिगड़े काम
आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि (Vinayak Chaturthi 2025) भगवान गणेश को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की पूजा की जाती है। भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। साथ ही जीवन में व्याप्त परेशानियों से मुक्ति मिलती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, गुरुवार 25 सितंबर यानी आज विनायक चतुर्थी है। इस शुभ अवसर पर भक्ति भाव से भगवान गणेश की पूजा की जा रही है। साथ ही उनके निमित्त चतुर्थी का व्रत रखा जा रहा है। इस व्रत को करने से साधक पर भगवान गणेश की कृपा बरसती है। साथ ही मनचाहा वरदान मिलता है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से भगवान गणेश की पूजा करते हैं।
ज्योतिषियों की मानें तो आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर रवि योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से दोगुना फल मिलेगा। अगर आप भी भगवान गणेश की कृपा पाना चाहते हैं, तो चतुर्थी तिथि पर भक्ति भाव से गणपति बप्पा की पूजा करें। वहीं, पूजा का समापन गणेश जी की आरती से करें।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र
प्रणम्यं शिरसा देव गौरीपुत्रं विनायकम ।
भक्तावासं: स्मरैनित्यंमायु:कामार्थसिद्धये ॥
प्रथमं वक्रतुंडंच एकदंतं द्वितीयकम ।
तृतीयं कृष्णं पिङा्क्षं गजवक्त्रं चतुर्थकम॥
लम्बोदरं पंचमं च षष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेन्द्रं धूम्रवर्ण तथाष्टकम् ॥
नवमं भालचन्द्रं च दशमं तु विनायकम ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजाननम ॥
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंध्य य: पठेन्नर:।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वासिद्धिकरं प्रभो ॥
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान् मोक्षार्थी लभते गतिम् ॥
जपेद्वगणपतिस्तोत्रं षड्भिर्मासै: फलं लभेत् ।
संवत्सरेण सिद्धिं च लभते नात्र संशय:॥
अष्टभ्यो ब्राह्मणेभ्यश्च लिखित्वां य: समर्पयेत ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादत:॥
॥श्री गणेश जी की आरती॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी ।
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा ।
लड्डुअन का भोग लगे, संत करें सेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया ।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
‘सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी ।
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी ॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा ।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा ॥
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