Laxmi Mata Ki Aarti: मां लक्ष्मी की पूजा करते समय जरूर करें ये आरती, आर्थिक संकटों से मिलेगी मुक्ति
धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी के उपासकों को जीवन में कभी आर्थिक संकटों से नहीं गुजरना पड़ता है। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि धन की देवी एक स्थान पर ज्यादा देर तक नहीं ठहरती हैं। अतः मां लक्ष्मी की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Laxmi Mata Ki Aarti: शुक्रवार का दिन धन की देवी मां लक्ष्मी को समर्पित होता है। इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। साथ ही साधक अपनी इच्छा पूर्ति हेतु लक्ष्मी वैभव व्रत भी रखते हैं। धार्मिक मत है कि मां लक्ष्मी के उपासकों को जीवन में कभी आर्थिक संकटों से नहीं गुजरना पड़ता है। उनकी कृपा से साधक को सभी प्रकार के सुखों की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी शुभ कार्यों में सिद्धि प्राप्त होती है। सनातन शास्त्रों में वर्णित है कि धन की देवी एक स्थान पर ज्यादा देर तक नहीं ठहरती हैं। अतः मां लक्ष्मी की नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार को स्नान-ध्यान के बाद विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। इस समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। साथ ही पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।
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लक्ष्मीजी आरती
महालक्ष्मी नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं सुरेश्वरि ।
हरि प्रिये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं दयानिधे ॥
पद्मालये नमस्तुभ्यं, नमस्तुभ्यं च सर्वदे ।
सर्वभूत हितार्थाय, वसु सृष्टिं सदा कुरुं ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
उमा, रमा, ब्रम्हाणी, तुम ही जग माता ।
सूर्य चद्रंमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
दुर्गा रुप निरंजनि, सुख-संपत्ति दाता ।
जो कोई तुमको ध्याता, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
तुम ही पाताल निवासनी, तुम ही शुभदाता ।
कर्म-प्रभाव-प्रकाशनी, भव निधि की त्राता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
जिस घर तुम रहती हो, ताँहि में हैं सद्गुण आता ।
सब सभंव हो जाता, मन नहीं घबराता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
तुम बिन यज्ञ ना होता, वस्त्र न कोई पाता ।
खान पान का वैभव, सब तुमसे आता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
शुभ गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि जाता ।
रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
महालक्ष्मी जी की आरती, जो कोई नर गाता ।
उँर आंनद समाता, पाप उतर जाता ॥
ॐ जय लक्ष्मी माता...
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।
तुमको निसदिन सेवत, हर विष्णु विधाता ॥
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