Back Image

Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck

    Jai Lakshmi Ramna Aarti: मां लक्ष्मी की पूजा करते समय जरूर करें ये आरती, धन की समस्या होगी दूर

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 31 May 2024 08:00 AM (IST)

    धार्मिक मत है कि शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही कर्ज की समस्या दूर होती है। ज्योतिष शास्त्र में निहित है कि मां लक्ष्मी की पूजा करने से कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होता है। कुंडली में शुक्र ग्रह मजबूत होने से सुखों में वृद्धि होती है।

    Hero Image
    Jai Lakshmi Ramna Aarti: मां लक्ष्मी की पूजा करते समय जरूर करें ये आरती

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Jai Lakshmi Ramna Aarti In Hindi: सनातन धर्म के अनुयायी शुक्रवार के दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही शुक्रवार के दिन लक्ष्मी वैभव व्रत भी रखते हैं। इस व्रत को स्त्री और पुरुष दोनों ही करते हैं। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक के जीवन में व्याप्त धन संबंधी परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही आय और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष भी धन संबंधी समस्या को दूर करने के लिए मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। अगर आप भी धन की देवी मां लक्ष्मी की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन विधि-विधान से मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के अंत में ये आरती जरूर करें।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    यह भी पढ़ें: आखिर किस वजह से कौंच गंधर्व को द्वापर युग में बनना पड़ा भगवान गणेश की सवारी?


    श्री लक्ष्मीनारायण आरती

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा, स्वामी जय लक्ष्मी रमणा।

    सत्य नारायण स्वामी, जन पातक हरणा।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    रतन जड़ित सिंहासन, अद्भुत छवि राजे।

    नारद करत निरंतर, घंटा ध्वनि बाजे।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    प्रगट भए कलि कारण, द्विज को दरश दियो।

    बूढो ब्राह्मण बनकर कंचन महल कियो।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    दुर्बल भील कराल जिन पर कृपा करी।

    चंद्रचूड़ एक राजा जिनकी विपति हरी।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    वैश्य मनोरथ पायो श्रद्धा तज दिनी।

    सो फल भोग्यो प्रभुजी, फिर स्तुति किन्ही।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    भाव भक्ति के कारण, छिन-छिन रूप धरयो।

    श्रद्धा धारण किन्ही तिनको काज सरयो।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    ग्वाल बाल संग राजा वन में भक्ति करी ।

    मन वांछित फल दीन्हो, दीन दयाल हरी।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    चढ़त प्रसाद सवायो कदली फल मेवा ।

    धूप दीप तुलसी से राजी सत्यदेव।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    श्री सत्यनारायण जी की आरती जो कोई नर गावे।

    तन मन सुख सम्पति, मन वांक्षित फल पावे।।

    ॐ जय लक्ष्मी रमणा...

    यह भी पढ़ें: कब और कैसे हुई धन की देवी की उत्पत्ति? जानें इससे जुड़ी कथा एवं महत्व

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।