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    Laxmi Ji Ki Aarti: शुक्रवार के दिन पूजा के समय करें धन की देवी मां लक्ष्मी की आरती, मनचाही मुराद होगी पूरी

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Fri, 28 Jul 2023 11:39 AM (IST)

    Laxmi Ji Ki Aarti धार्मिक मान्यता यह भी है कि मां लक्ष्मी बेहद चंचल हैं। एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं ठहरती हैं। इस वजह से मानव जीवन में सुख-दुख का क्रम चलता रहता है। अतः धन की देवी मां लक्ष्मी की प्रतिदिन पूजा-उपासना करनी चाहिए। अगर आप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं तो शुक्रवार के दिन विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें।

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    Laxmi Ji Ki Aarti: शुक्रवार के दिन पूजा के समय करें मां लक्ष्मी की आरती, मनचाही मुराद होगी पूरी

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क। Laxmi Ji Ki Aarti: सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को धन की देवी भी कहा जाता है। धर्म शास्त्रों में निहित है कि चिरकाल में समुद्र मंथन के समय मां लक्ष्मी की उत्पत्ति हुई थी। उस समय जगत के पालनहार भगवान विष्णु ने मां लक्ष्मी को अर्धांगिनी रूप में स्वीकार्य किया था। अतः भगवान विष्णु लक्ष्मीपति भी कहलाते हैं। धार्मिक मान्यता यह भी है कि मां लक्ष्मी बेहद चंचल हैं। एक स्थान पर अधिक समय तक नहीं ठहरती हैं। इस वजह से मानव जीवन में सुख-दुख का क्रम चलता रहता है। अतः धन की देवी मां लक्ष्मी की प्रतिदिन पूजा-उपासना करनी चाहिए। अगर आप भी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन विधि विधान से मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करें। अगर आप शरीरिक रूप से सक्षम हैं, तो शुक्रवार के दिन वैभव लक्ष्मी का व्रत रखें। वहीं, पूजा के समय लक्ष्मी जी की आरती जरूर करें। आइए, धन की देवी मां लक्ष्मी की श्रदा भाव से आरती करें-

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    माता लक्ष्मी आरती

    ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता ।

    तुमको निशिदिन सेवत, हरि विष्णु विधाता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता ।

    सूर्य-चंद्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    दुर्गा रुप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता ।

    जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता ।

    कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता ।

    सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता ।

    खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    शुभ-गुण मंदिर सुंदर, क्षीरोदधि-जाता ।

    रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    महालक्ष्मीजी की आरती, जो कोई जन गाता ।

    उर आनन्द समाता, पाप उतर जाता ।।

    ॐ जय लक्ष्मी माता ।।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।