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    Pradosh Vrat 2025: प्रदोष व्रत के दिन करें महादेव के इस स्तोत्र का पाठ, चमक जाएगी आपकी किस्मत

    Updated: Wed, 21 May 2025 09:00 PM (IST)

    सनातन शास्त्रों में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) का विशेष महत्व है। इस व्रत को हर महीने के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन महादेव के संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को शुभ परिणाम मिलते हैं। साथ ही शिव जी की कृपा से रुके हुए काम पूरे होते हैं।

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    Pradosh Vrat 2025: इस तरह प्राप्त करें महादेव की कृपा

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष में प्रदोष व्रत 24 मई (Pradosh Vrat 2025 Date) को किया जाएगा। धार्मिक मत है कि प्रदोष व्रत को विधिपूर्वक करने से साधक को महादेव के संग मां पार्वती की कृपा प्राप्त होती है।

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    इस दिन पूजा के दौरान शिव पंचाक्षर स्तोत्र और श्री शिवरामाष्टक स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस स्तोत्र का पाठ करने से साधक की किस्मत चमक सकती है। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होगा।

    ॥ शिव पञ्चाक्षर स्तोत्रम् ॥

    नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनायभस्माङ्गरागाय महेश्वराय।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बरायतस्मै न काराय नमः शिवाय॥

    मन्दाकिनीसलिलचन्दनचर्चितायनन्दीश्वरप्रमथनाथमहेश्वराय।

    मन्दारपुष्पबहुपुष्पसुपूजितायतस्मै म काराय नमः शिवाय॥

    शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्दसूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय।

    श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजायतस्मै शि काराय नमः शिवाय्॥

    वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्यमुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

    चन्द्रार्कवैश्वानरलोचनायतस्मै व काराय नमः शिवाय॥

    यक्षस्वरूपाय जटाधरायपिनाकहस्ताय सनातनाय।

    दिव्याय देवाय दिगम्बरायतस्मै य काराय नमः शिवाय॥

    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

    ॥ इति श्रीमच्छङ्कराचार्यविरचितं शिवपञ्चाक्षरस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥

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    ॥ श्री शिवरामाष्टकस्तोत्रम् ॥

    शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।

    अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।

    शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।

    भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।

    जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।

    जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।

    निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।

    तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।

    मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।

    मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।

    विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥

    प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।

    विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥11॥

    ॥ इति श्रीरामानन्दस्वामिना विरचितं श्रीशिवरामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

    शिव मंत्र

    1. सौराष्ट्रे सोमनाथं च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्।

    उज्जयिन्यां महाकालं ओम्कारम् अमलेश्वरम्॥

    परल्यां वैद्यनाथं च डाकिन्यां भीमशङ्करम्।

    सेतुबन्धे तु रामेशं नागेशं दारुकावने॥

    वाराणस्यां तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमीतटे।

    हिमालये तु केदारं घुश्मेशं च शिवालये॥

    एतानि ज्योतिर्लिङ्गानि सायं प्रातः पठेन्नरः।।

    2. ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।

    उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।