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    Pradosh Vrat 2025: शनि प्रदोष व्रत के दिन जरूर करें ये काम, शिव जी के साथ मिलेगी शनिदेव की कृपा

    Updated: Sat, 17 May 2025 06:35 PM (IST)

    प्रदोष व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। इस दिन पर मुख्य रूप से भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है। अगर आप शनि प्रदोष व्रत (Shani Pradosh Vrat 2025) के दिन ये कार्य करते हैं तो इससे आपको महादेव के साथ-साथ शनिदेव की भी कृपा मिल सकती है।

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    Shani Pradosh Vrat पर क्या करना चाहिए?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने में दो बार प्रदोष व्रत किया जाता है, दो हर माह की कृष्ण और शुक्ल पक्ष में आने वाली त्रयोदशी तिथि पर किया जाता है। साथ ही इस दिन पर शिव जी की पूजा प्रदोष काल में करने का विधान है। शनिवार को किए जाने वाले प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत के रूप में जाना जाता है, जो शनिदेव की कृपा के लिए भी उत्तम तिथि मानी गई है। 

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    प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त

    ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि का शुभारंभ 24 मई को शाम 7 बजकर 20 मिनट पर हो रहा है। वहीं इस तिथि का समापन 25 मई को दोपहर 3 बजकर 51 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत शनिवार 24 मई को किया जाएगा। इस दिन पर शिव जी की पूजा का मुहूर्त शाम 7 बजकर 20 मिनट से रात 9 बजकर 13 मिनट तक रहने वाला है।

    शिवलिंग पर चढ़ाएं ये चीजें

    शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें, इसके बाद दूध और दही से अभिषेक करें। इसी के साथ प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर गंगाजल और चावल अर्पित करने से आपको कर्ज की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। साथ ही शनि प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर काले तिल अर्पित करने से भी साधक को शुभ फल प्राप्त होते हैं।

    इन चीजों का करें दान

    शनि प्रदोष व्रत का दिन शनि देव को प्रसन्न करने के लिए भी बहुत उत्तम माना गया है। ऐसे में आप इस दिन काले तिल और सरसों के तेल का दान कर सकते हैं, जिससे शिव जी के साथ-साथ शनिदेव की भी कृपा मिलती है। इसी के साथ शनि प्रदोष व्रत के दिन उड़द की दाल, लोहे की वस्तुएं, वस्त्र और अन्न का दान करने से भी साधक को अच्छे परिणाम मिलते हैं।

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    (Picture Credit: Freepik)

    नटराज स्तुति (Nataraja Stuti)

    आपको प्रदोष व्रत के दिन आपको नटराज स्तुति का पाठ करने करने से भी काफी अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।

    सत सृष्टि तांडव रचयिता

    नटराज राज नमो नमः ।

    हे आद्य गुरु शंकर पिता

    नटराज राज नमो नमः ॥

    गंभीर नाद मृदंगना

    धबके उरे ब्रह्माडना ।

    नित होत नाद प्रचंडना

    नटराज राज नमो नमः ॥

    शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा

    चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां ।

    विषनाग माला कंठ मां

    नटराज राज नमो नमः ॥

    तवशक्ति वामांगे स्थिता

    हे चंद्रिका अपराजिता ।

    चहु वेद गाए संहिता

    नटराज राज नमोः ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।