Pitru Paksha 2025: जानिए कब से शुरू हो रहे हैं पितृ पक्ष, कौवों को ही इस दौरान क्यों कराते हैं भोजन
पितरों की आत्मा की शांति और उनके मोक्ष के लिए किए जाने वाले पुण्य कार्यों का समय पितृ पक्ष कहलाता है। इस दौरान पितरों के निमित्त तर्पण और श्राद्ध किए जाते हैं। पितरों का उनकी मृत्यु तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है।

पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितृ पक्ष को श्राद्ध पक्ष, महालय पक्ष, अपर पक्ष, सोलह श्राद्ध, या कनागत के नाम से भी जाना जाता है। इस समय पर पूर्वजों को श्रद्धापूर्वक स्मरण किया जाता है और उनके लिए पिण्डदान और तर्पण जैसे कर्मकांड किए जाते हैं।
कहते हैं कि पितरों की आत्मा इस दौरान धरती पर आती है। जब परिवार के सदस्य उन्हें भोग निकालते हैं, उनके लिए धर्म-कर्म करते हैं, तो वह संतुष्ट होते हैं और परिवार को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं। पितृ पक्ष भाद्रपद मास की पूर्णिमा से आश्विन मास की अमावस्या तक मनाया जाता है।
इस साल श्राद्ध पक्ष (Shradh paksha dates 2025) 7 सितंबर 2025 से शुरू हो रहे हैं। ये 21 सितंबर 2025 को समाप्त होंगे। जिस तिथि में पितरों की मृत्यु हुई होती है, उस तिथि को उनका श्राद्ध कर्म किया जाता है। यदि किसी पूर्वज के निधन की तिथि ज्ञात न हो, तो उनके लिए सर्वपितृ अमावस्या के दिन पिंडदान या श्राद्ध करना चाहिए।

कौवों को देते हैं भोजन
इस दौरान कौवों को भोजन देने का विधान होता है। आपके भी मन में सवाल उठता होगा कि आखिर इतने जीवों में कौवों को ही श्राद्ध का भोजन देने के लिए क्यो चुना गया। इसका जवाब गरुड़ पुराण में मिलता है। उसमें बताया गया है कि कौवों में पृथ्वी, पाताल और स्वर्ग यानी तीनों लोकों में आने-जाने की शक्ति है।
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इसके अलावा वह पितरों और यमलोक का प्रतिनिधि होता है। वह यमराज का दूत भी होता है। मान्यता है कि कौवे के जरिये ही पितर पृथ्वी लोक में आते हैं। इसलिए कौवों को भोज कराने का विधान किया गया है।
मान्यता है कि ऐसा करने से वह अन्न सीधे पितरों तक पहुंचता है। कहते है कि यदि कौवा भोजन खा ले, तो इसे शुभ संकेत माना जाता है। इससे पता चला है कि पूर्वजों ने आपने दिए भोजन को स्वीकार किया है।
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