Papmochani Ekadashi पर करें मां तुलसी के इन मंत्रों का जप, जीवन में कभी नहीं होगी पैसों की कमी
चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर पापमोचनी एकादशी (Papmochani Ekadashi 2025) व्रत किया जाता है। इस तिथि को भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त करने के लिए शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पापमोचनी एकादशी व्रत करने से साधक के सभी पापों का नाश होता है। साथ ही धन की देवी मां लक्ष्मी का आशीर्वाद हमेशा बना रहता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में एकादशी तिथि को महत्वपूर्ण माना गया है। वैदिक पंचांग के अनुसार, हर वर्ष चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर पापमोचनी एकादशी व्रत किया जाता है। इस तिथि पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी के संग मां तुलसी की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विधिपूर्वक व्रत भी किया जाता है।
ऐसे में इस दिन पूजा के दौरान मां तुलसी के मंत्रों का जप करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, एकादशी के दिन तुलसी मंत्रों का जप करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। साथ ही पैसों से हमेशा तिजोरी भरी रहती है।
(Pic Credit-AI)
पापमोचनी एकादशी 2025 शुभ मुहूर्त
वैदिक पंचांग के अनुसार, चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत 25 मार्च को सुबह 05 बजकर 05 मिनट पर हो रही है और तिथि का समापन अगले दिन यानी 26 मार्च को देर रात 03 बजकर 45 मिनट पर होगा। इस प्रकार 25 मार्च (Papmochani Ekadashi 2025 Date) को पापमोचनी एकादशी मनाई जाएगी।
तुलसी जी के मंत्र -
महाप्रसाद जननी सर्व सौभाग्यवर्धिनी, आधि व्याधि हरा नित्यं तुलसी त्वं नमोस्तुते।।
तुलसी गायत्री -
ॐ तुलसीदेव्यै च विद्महे, विष्णुप्रियायै च धीमहि, तन्नो वृन्दा प्रचोदयात् ।।
मां तुलसी का पूजन मंत्र
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2025: पापमोचनी एकादशी व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं? यहां जानें पूरा अपडेट
तुलसी स्तुति मंत्र -
देवी त्वं निर्मिता पूर्वमर्चितासि मुनीश्वरैः
नमो नमस्ते तुलसी पापं हर हरिप्रिये।।
तुलसी श्रीर्महालक्ष्मीर्विद्याविद्या यशस्विनी।
धर्म्या धर्मानना देवी देवीदेवमन: प्रिया।।
लभते सुतरां भक्तिमन्ते विष्णुपदं लभेत्।
तुलसी भूर्महालक्ष्मी: पद्मिनी श्रीर्हरप्रिया।।
तुलसी नामाष्टक मंत्र -
वृंदा वृंदावनी विश्वपूजिता विश्वपावनी।
पुष्पसारा नंदनीय तुलसी कृष्ण जीवनी।।
एतभामांष्टक चैव स्त्रोतं नामर्थं संयुतम।
य: पठेत तां च सम्पूज्य सौश्रमेघ फलंलमेता।।
वृंदा देवी-अष्टक मंत्र
गाङ्गेयचाम्पेयतडिद्विनिन्दिरोचिःप्रवाहस्नपितात्मवृन्दे ।
बन्धूकबन्धुद्युतिदिव्यवासोवृन्दे नुमस्ते चरणारविन्दम् ॥
तुलसी स्तुति
मनः प्रसादजननि सुखसौभाग्यदायिनि।
आधिव्याधिहरे देवि तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥
यन्मूले सर्वतीर्थानि यन्मध्ये सर्वदेवताः।
यदग्रे सर्व वेदाश्च तुलसि त्वां नमाम्यहम्॥
अमृतां सर्वकल्याणीं शोकसन्तापनाशिनीम्।
आधिव्याधिहरीं नॄणां तुलसि त्वां नम्राम्यहम्॥
देवैस्त्चं निर्मिता पूर्वं अर्चितासि मुनीश्वरैः।
नमो नमस्ते तुलसि पापं हर हरिप्रिये॥
सौभाग्यं सन्ततिं देवि धनं धान्यं च सर्वदा।
आरोग्यं शोकशमनं कुरु मे माधवप्रिये॥
तुलसी पातु मां नित्यं सर्वापद्भयोऽपि सर्वदा।
कीर्तिताऽपि स्मृता वाऽपि पवित्रयति मानवम्॥
या दृष्टा निखिलाघसङ्घशमनी स्पृष्टा वपुःपावनी
रोगाणामभिवन्दिता निरसनी सिक्ताऽन्तकत्रासिनी।
प्रत्यासत्तिविधायिनी भगवतः कृष्णस्य संरोपिता
न्यस्ता तच्चरणे विमुक्तिफलदा तस्यै तुलस्यै नमः॥
॥ इति श्री तुलसीस्तुतिः ॥
यह भी पढ़ें: Papmochani Ekadashi 2025: तुलसी के इन उपायों से जीवन में नहीं आएगा कोई संकट, दूर होगी हर समस्या
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।