Mokshada Ekadashi के दिन सरल विधि से करें इस चालीसा का पाठ, जल्द खुलेंगे सफलता के मार्ग
सनातन धर्म में तुलसी के पौधे का विशेष महत्व है। यह पौधा अधिकतर हिन्दू धर्म से जुड़े लोगों के घरों में देखने को मिलता है। मान्यता है कि इस पौधे में धन की देवी मां लक्ष्मी का वास होता है। एकादशी के दिन मां तुलसी की पूजा करना फलदायी साबित होता है। ऐसे में मोक्षदा एकादशी के दिन तुलसी चालीसा (Tulsi Chalisa Lyrics) का पाठ जरूर करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह में मोक्षदा एकादशी का व्रत 11 दिसंबर (Mokshada Ekadashi 2024 Date) को किया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु के संग मां तुलसी की उपासना करने से जातक को जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है। साथ ही आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ करने से सफलता के मार्ग खुलते हैं और मां लक्ष्मी का आशीवाद प्राप्त होता है।
इस विधि से करें तुलसी चालीसा का पाठ
- मोक्षदा एकादशी के दिन विधिपूर्वक विष्णु जी की पूजा करें।
- इसके बाद मां तुलसी की पूजा करें।
- मां तुलसी को सोलह शृंगार अर्पित करें।
- लाल चुनरी चढ़ाएं।
- देसी घी का दीपक जलाकर आरती करें।
- सच्चे मन से तुलसी चालीसा का पाठ करें।
- अंत में भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें।
।।दोहा तुलसी चालीसा।।
श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
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छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।
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