Mauni amavasya पर करें तुलसी चालीसा का पाठ, कभी नहीं होगी धन की कमी
हर महीने में अमावस्या का पर्व मनाया जाता है। इस बार माघ माह में मौनी अमावस्या मनाई जाएगी। पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी (Mauni amavasya 2025 Date) को है। इस दिन विधिपूर्वक तर्पण करने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही तुलसी चालीसा का पाठ करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन लाभ के योग बनेंगे।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में पूर्वजों को मोक्ष की प्राप्ति के लिए मौनी अमावस्या (Mauni amavasya 2025) को शुभ माना गया है। इस दिन महादेव, विष्णु जी और तुलसी की उपासना करने का विधान है। साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। मान्यता है कि इन शुभ कामों को करने से जीवन में सभी सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन तुलसी चालीसा का पाठ करना उत्तम माना जाता है। इसके पाठ से आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है।
तुसली चालीसा के पाठ से मिलते हैं ये लाभ
- सच्चे मन से तुलसी चालीसा का पाठ करने से आर्थिक तंगी दूर होती है।
- धन लाभ के योग बनते हैं।
- नज़र दोष की समस्या से छुटकारा मिलता है।
- घर में शांति का आगमन होता है।
- सभी मुरादें पूरी होती हैं।
मौनी अमावस्या 2025 गंगा स्नान टाइम
पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या के दिन श्रवण नक्षत्र और उत्तराषाढा नक्षत्र में गंगा स्नान करना शुभ रहेगा।
उत्तराषाढा - 30 जनवरी को सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक है।
श्रवण नक्षत्र - इसकी शुरुआत 29 जनवरी को सुबह 08 बजकर 20 मिनट पर होगा। वहीं, इसका समापन 30 जनवरी को सुबह 07 बजकर 15 मिनट तक होगा।
।।दोहा तुलसी चालीसा।।
''श्री तुलसी महारानी, करूं विनय सिरनाय।
जो मम हो संकट विकट, दीजै मात नशाय।।''
नमो नमो तुलसी महारानी, महिमा अमित न जाय बखानी।
दियो विष्णु तुमको सनमाना, जग में छायो सुयश महाना।।
विष्णुप्रिया जय जयतिभवानि, तिहूँ लोक की हो सुखखानी।
भगवत पूजा कर जो कोई, बिना तुम्हारे सफल न होई।।
जिन घर तव नहिं होय निवासा, उस पर करहिं विष्णु नहिं बासा।
करे सदा जो तव नित सुमिरन, तेहिके काज होय सब पूरन।।
कातिक मास महात्म तुम्हारा, ताको जानत सब संसारा।
तव पूजन जो करैं कुंवारी, पावै सुन्दर वर सुकुमारी।।
कर जो पूजन नितप्रति नारी, सुख सम्पत्ति से होय सुखारी।
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वृद्धा नारी करै जो पूजन, मिले भक्ति होवै पुलकित मन।।
श्रद्धा से पूजै जो कोई, भवनिधि से तर जावै सोई।
कथा भागवत यज्ञ करावै, तुम बिन नहीं सफलता पावै।।
छायो तब प्रताप जगभारी, ध्यावत तुमहिं सकल चितधारी।
तुम्हीं मात यंत्रन तंत्रन, सकल काज सिधि होवै क्षण में।।
औषधि रूप आप हो माता, सब जग में तव यश विख्याता,
देव रिषी मुनि औ तपधारी, करत सदा तव जय जयकारी।।
वेद पुरानन तव यश गाया, महिमा अगम पार नहिं पाया।
नमो नमो जै जै सुखकारनि, नमो नमो जै दुखनिवारनि।।
नमो नमो सुखसम्पति देनी, नमो नमो अघ काटन छेनी।
नमो नमो भक्तन दुःख हरनी, नमो नमो दुष्टन मद छेनी।।
नमो नमो भव पार उतारनि, नमो नमो परलोक सुधारनि।
नमो नमो निज भक्त उबारनि, नमो नमो जनकाज संवारनि।।
नमो नमो जय कुमति नशावनि, नमो नमो सुख उपजावनि।
जयति जयति जय तुलसीमाई, ध्याऊँ तुमको शीश नवाई।।
निजजन जानि मोहि अपनाओ, बिगड़े कारज आप बनाओ।
करूँ विनय मैं मात तुम्हारी, पूरण आशा करहु हमारी।।
शरण चरण कर जोरि मनाऊं, निशदिन तेरे ही गुण गाऊं।
क्रहु मात यह अब मोपर दाया, निर्मल होय सकल ममकाया।।
मंगू मात यह बर दीजै, सकल मनोरथ पूर्ण कीजै।
जनूं नहिं कुछ नेम अचारा, छमहु मात अपराध हमारा।।
बरह मास करै जो पूजा, ता सम जग में और न दूजा।
प्रथमहि गंगाजल मंगवावे, फिर सुन्दर स्नान करावे।।
चन्दन अक्षत पुष्प् चढ़ावे, धूप दीप नैवेद्य लगावे।
करे आचमन गंगा जल से, ध्यान करे हृदय निर्मल से।।
पाठ करे फिर चालीसा की, अस्तुति करे मात तुलसा की।
यह विधि पूजा करे हमेशा, ताके तन नहिं रहै क्लेशा।।
करै मास कार्तिक का साधन, सोवे नित पवित्र सिध हुई जाहीं।
है यह कथा महा सुखदाई, पढ़े सुने सो भव तर जाई।।
तुलसी मैया तुम कल्याणी, तुम्हरी महिमा सब जग जानी।
भाव ना तुझे माँ नित नित ध्यावे, गा गाकर मां तुझे रिझावे।।
यह श्रीतुलसी चालीसा पाठ करे जो कोय।
गोविन्द सो फल पावही जो मन इच्छा होय।।
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