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    Masik Shivratri के दिन करें इस स्तोत्र का पाठ, नए साल में नहीं आएगा कोई संकट

    सनातन धर्म में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि महादेव (Lord Shiv) को अधिक प्रिय है। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना और व्रत करने से विवाह में आ रही बाधा से छुटकारा मिलता है। साथ ही अन्न और धन का दान करने से आर्थिक तंगी खत्म होती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 23 Dec 2024 06:12 PM (IST)
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    मासिक शिवरात्रि की पूजा से प्रसन्न होंगे शिव जी

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, वर्ष 2024 की आखिरी मासिक शिवरात्रि 29 दिसंबर को मनाई जाएगी। इस दिन जातक महादेव की कृपा प्राप्त करने के लिए व्रत और पूजा करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि मासिक शिवरात्रि के दिन उपासना करने से जातक को मनचाहा वर मिलता है और रिश्ते मजबूत होते हैं। यदि आप नए साल में अपना जीवन खुशहाल बनाना चाहते हैं, तो मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2024) की पूजा में शिव रामाष्टक स्तोत्र (Shiv Ramashtakam Stotram) का पाठ करें। इसका पाठ करने से जातक पाप मुक्त हो जाता है और सुख और समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में कोई संकट नहीं आता है।

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    मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri Shubh Muhurat)

    पंचांग के अनुसार, पौष माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 29 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 32 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 30 दिसंबर को सुबह 04 बजकर 01 मिनट पर समाप्त होगी। मासिक शिवरात्रि पर निशा काल में शिव-शक्ति की पूजा होती है। अतः 29 दिसंबर को पौष माह की मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।

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    ॥ श्री शिव रामाष्टक स्तोत्र ॥

    शिवहरे शिवराम सखे प्रभो,त्रिविधताप-निवारण हे विभो।

    अज जनेश्वर यादव पाहि मां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥1॥

    कमल लोचन राम दयानिधे,हर गुरो गजरक्षक गोपते।

    शिवतनो भव शङ्कर पाहिमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥2॥

    स्वजनरञ्जन मङ्गलमन्दिर,भजति तं पुरुषं परं पदम्।

    भवति तस्य सुखं परमाद्भुतं,शिवहरे विजयं कुरू मे वरम्॥3॥

    जय युधिष्ठिर-वल्लभ भूपते,जय जयार्जित-पुण्यपयोनिधे।

    जय कृपामय कृष्ण नमोऽस्तुते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥4॥

    भवविमोचन माधव मापते,सुकवि-मानस हंस शिवारते।

    जनक जारत माधव रक्षमां,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥5॥

    अवनि-मण्डल-मङ्गल मापते,जलद सुन्दर राम रमापते।

    निगम-कीर्ति-गुणार्णव गोपते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥6॥

    पतित-पावन-नाममयी लता,तव यशो विमलं परिगीयते।

    तदपि माधव मां किमुपेक्षसे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥7॥

    अमर तापर देव रमापते,विनयतस्तव नाम धनोपमम्।

    मयि कथं करुणार्णव जायते,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥8॥

    हनुमतः प्रिय चाप कर प्रभो,सुरसरिद्-धृतशेखर हे गुरो।

    मम विभो किमु विस्मरणं कृतं,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥9॥

    नर हरेति परम् जन सुन्दरं,पठति यः शिवरामकृतस्तवम्।

    विशति राम-रमा चरणाम्बुजे,शिव हरे विजयं कुरू मे वरम्॥10॥

    प्रातरूथाय यो भक्त्या पठदेकाग्रमानसः।

    विजयो जायते तस्य विष्णु सान्निध्यमाप्नुयात्॥11॥

    ॥ इति श्रीरामानन्दस्वामिना विरचितं श्रीशिवरामाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

    पूजा के दौरान करें इन मंत्रों का जप

    शिव प्रार्थना मंत्र

    करचरणकृतं वाक् कायजं कर्मजं श्रावण वाणंजं वा मानसंवापराधं ।

    विहितं विहितं वा सर्व मेतत् क्षमस्व जय जय करुणाब्धे श्री महादेव शम्भो ॥

    शिव नमस्कार मंत्र

    शम्भवाय च मयोभवाय च नमः शंकराय च मयस्कराय च नमः शिवाय च शिवतराय च।।

    ईशानः सर्वविध्यानामीश्वरः सर्वभूतानां ब्रम्हाधिपतिमहिर्बम्हणोधपतिर्बम्हा शिवो मे अस्तु सदाशिवोम।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।