Masik Krishna Janmashtami की पूजा इस चालीसा के बिना है अधूरी, पाठ करने से सभी कष्ट होंगे दूर
धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर भगवान श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। इसी वजह से हर महीने की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी (Masik Krishna Janmashtami 2025) मनाई जाती है। इस दिन साधक भगवान श्री कृष्ण की विशेष पूजा-अर्चना करते हैं। साथ ही जीवन में सुख-शांति के लिए व्रत भी किया जाता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। फाल्गुन माह में कई व्रत पर्व मनाए जाते हैं, जिनका विशेष महत्व है। इनमें मासिक कृष्ण जन्माष्टमी का त्योहार भी शामिल है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह में मासिक कृष्ण जन्माष्टमी व्रत (Masik Krishna Janmashtami 2025 Date) 20 फरवरी को किया जाएगा।
इस दिन भगवान श्री कृष्ण की पूजा करने का विधान है। इस दिन पूजा के दौरान कृष्ण चालीसा का पाठ कर जीवन को सफल बनाया जा सकता है। मान्यता है कि कृष्ण चालीसा का पाठ करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और घर में खुशियों का आगमन होता है।
।।कृष्ण चालीसा का पाठ।।
॥ दोहा ॥
बंशी शोभित कर मधुर,नील जलद तन श्याम।
अरुण अधर जनु बिम्बा फल,पिताम्बर शुभ साज॥
जय मनमोहन मदन छवि,कृष्णचन्द्र महाराज।
करहु कृपा हे रवि तनय,राखहु जन की लाज॥
॥ चौपाई ॥
जय यदुनन्दन जय जगवन्दन।
जय वसुदेव देवकी नन्दन॥
जय यशुदा सुत नन्द दुलारे।
जय प्रभु भक्तन के दृग तारे॥
जय नट-नागर नाग नथैया।
कृष्ण कन्हैया धेनु चरैया॥
पुनि नख पर प्रभु गिरिवर धारो।
आओ दीनन कष्ट निवारो॥
वंशी मधुर अधर धरी तेरी।
होवे पूर्ण मनोरथ मेरो॥
आओ हरि पुनि माखन चाखो।
आज लाज भारत की राखो॥
गोल कपोल, चिबुक अरुणारे।
मृदु मुस्कान मोहिनी डारे॥
रंजित राजिव नयन विशाला।
मोर मुकुट वैजयंती माला॥
कुण्डल श्रवण पीतपट आछे।
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कटि किंकणी काछन काछे॥
नील जलज सुन्दर तनु सोहे।
छवि लखि, सुर नर मुनिमन मोहे॥
मस्तक तिलक, अलक घुंघराले।
आओ कृष्ण बाँसुरी वाले॥
करि पय पान, पुतनहि तारयो।
अका बका कागासुर मारयो॥
मधुवन जलत अग्नि जब ज्वाला।
भै शीतल, लखितहिं नन्दलाला॥
सुरपति जब ब्रज चढ़यो रिसाई।
मसूर धार वारि वर्षाई॥
लगत-लगत ब्रज चहन बहायो।
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गोवर्धन नखधारि बचायो॥
लखि यसुदा मन भ्रम अधिकाई।
मुख महं चौदह भुवन दिखाई॥
दुष्ट कंस अति उधम मचायो।
कोटि कमल जब फूल मंगायो॥
नाथि कालियहिं तब तुम लीन्हें।
चरणचिन्ह दै निर्भय किन्हें॥
करि गोपिन संग रास विलासा।
सबकी पूरण करी अभिलाषा॥
केतिक महा असुर संहारयो।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन लड्डू गोपाल को माखन-मिश्री, फल दही समेत आदि चीजों का भोग लगाएं। साथ ही भोग मंत्र का जप करें। धार्मिक मनयता है कि प्रभु को भोग लगाने से कान्हा जी प्रसन्न होते हैं और मनचाहा करियर मिलता है।
कंसहि केस पकड़ि दै मारयो॥
मात-पिता की बन्दि छुड़ाई।
उग्रसेन कहं राज दिलाई॥
महि से मृतक छहों सुत लायो।
मातु देवकी शोक मिटायो॥
भौमासुर मुर दैत्य संहारी।
लाये षट दश सहसकुमारी॥
दै भिन्हीं तृण चीर सहारा।
जरासिंधु राक्षस कहं मारा॥
असुर बकासुर आदिक मारयो।
भक्तन के तब कष्ट निवारियो॥
दीन सुदामा के दुःख टारयो।
तंदुल तीन मूंठ मुख डारयो॥
प्रेम के साग विदुर घर मांगे।
दुर्योधन के मेवा त्यागे॥
लखि प्रेम की महिमा भारी।
ऐसे श्याम दीन हितकारी॥
भारत के पारथ रथ हांके।
मासिक कृष्ण जन्माष्टमी के दिन श्रद्धा अनुसार विशेष चीजों का दान करें। मान्यता है कि गरीब लोगों या फिर मंदिर में दान करने से सुख-समृदि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है।
लिए चक्र कर नहिं बल ताके॥
निज गीता के ज्ञान सुनाये।
भक्तन ह्रदय सुधा वर्षाये॥
मीरा थी ऐसी मतवाली।
विष पी गई बजाकर ताली॥
राना भेजा सांप पिटारी।
शालिग्राम बने बनवारी॥
निज माया तुम विधिहिं दिखायो।
उर ते संशय सकल मिटायो॥
तब शत निन्दा करी तत्काला।
जीवन मुक्त भयो शिशुपाला॥
जबहिं द्रौपदी टेर लगाई।
दीनानाथ लाज अब जाई॥
तुरतहिं वसन बने नन्दलाला।
बढ़े चीर भै अरि मुँह काला॥
अस नाथ के नाथ कन्हैया।
डूबत भंवर बचावत नैया॥
सुन्दरदास आस उर धारी।
दयादृष्टि कीजै बनवारी॥
नाथ सकल मम कुमति निवारो।
क्षमहु बेगि अपराध हमारो॥
खोलो पट अब दर्शन दीजै।
बोलो कृष्ण कन्हैया की जै॥
॥ दोहा ॥
यह चालीसा कृष्ण का,पाठ करै उर धारि।
अष्ट सिद्धि नवनिधि फल,लहै पदारथ चारि॥
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