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    Masik Durgashtami की पूजा में जरूर करें इस स्तोत्र का पाठ, कट जाएंगे सभी संकट

    Updated: Tue, 27 May 2025 07:15 PM (IST)

    हर महीने में मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत किया जाता है। इस दिन पर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने से साधक जीवन के बड़े-से-बड़े संकट से उभर सकता है। इस दिन आप मां दुर्गा को पूजा के दौरान उनकी प्रिय चीजें अर्पित कर सकते हैं जैसे लाल चुनरी लाल फूल आदि।

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    Masik Durgashtami 2025 date (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक दुर्गाष्टमी (Masik Durgashtami Vrat 2025) का व्रत हर माह में आने वाली शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर किया जाता है। इस दिन पर जो साधक माता रानी की विधिवत रूप से पूजा-अर्चना और व्रत करता है, उसे जीवन की कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती है।

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    ऐसे में आप मासिक दुर्गाष्टमी की पूजा में नवदुर्गा स्तोत्रम् का पाठ कर सकते हैं। इससे आपको नवदुर्गा का आशीर्वाद मिलता है और जीवन में सुख-समृद्धि का आगमन होता है।

    मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त

    पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 2 जून को रात 8 बजकर 34 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 3 जून को रात 9 बजकर 56 मिनट पर होगा। इस प्रकार उदया तिथि को देखते हुए मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत मंगलवार 3 जून को किया जाएगा।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    ॥ नवदुर्गा स्तोत्रम् ॥

    ॥ देवी शैलपुत्री ॥

    वन्दे वाञ्छितलाभायचन्द्रार्धकृतशेखराम्।

    वृषारूढाम् शूलधरांशैलपुत्री यशस्विनीम्॥1॥

    ॥ देवी ब्रह्मचारिणी ॥

    दधाना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू।

    देवी प्रसीदतु मयिब्रह्मचारिण्यनुत्तमा॥2॥

    ॥ देवी चन्द्रघण्टा ॥

    पिण्डजप्रवरारूढाचन्दकोपास्त्रकैर्युता।

    प्रसादं तनुते मह्यम्चन्द्रघण्टेति विश्रुता॥3॥

    ॥ देवी कूष्माण्डा ॥

    सुरासम्पूर्णकलशम्रुधिराप्लुतमेव च।

    दधाना हस्तपद्माभ्याम्कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥4॥

    ॥ देवी स्कन्दमाता ॥

    सिंहासनगता नित्यम्पद्माश्रितकरद्वया।

    शुभदास्तु सदा देवीस्कन्दमाता यशस्विनी॥5॥

    कई जातक मासिक दुर्गाष्टमी का व्रत करते हैं। माना जाता है कि इससे माता रानी की कृपा मिलती है। साथ ही साधक के जीवन में आ रहे सभी दुख-दर्द दूर होते हैं। इस दिन पूजा में नवदुर्गा स्तोत्र का पाठ जरूर करें। 

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    ॥ देवी कात्यायनी ॥

    चन्द्रहासोज्ज्वलकराशार्दूलवरवाहना।

    कात्यायनी शुभं दद्यादेवि दानवघातिनी॥6॥

    ॥ देवी कालरात्रि ॥

    एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता।

    लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णीतैलभ्यक्तशरीरिणी॥

    वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा।

    वर्धनमूर्धध्वजा कृष्णाकालरात्रिर्भयङ्करी॥7॥

    ॥ देवी महागौरी ॥

    श्र्वेते वृषे समारूढाश्र्वेताम्बरधरा शुचि:।

    महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा॥8॥

    ॥ देवी सिद्धिदात्रि ॥

    सिद्धगन्धर्वयक्षाद्यैरसुरैरमरैरपि।

    सेव्यमाना सदा भूयात्सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥9॥

    ॥ इति श्री नवदुर्गा स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥

    मासिक दुर्गाष्टमी पर मां दुर्गा की पूजा-अर्चना करने के साधक को जीवन में आ रहे कई प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल सकती है। इस दिन मां दुर्गा की पूजा के दौरान उन्हें लाल फूल, लाल चुनरी, अक्षत, सिंदूर और फल आदि अर्पित कर सकते हैं। इससे देवी मां प्रसन्न होती हैं और साधक पर अपनी दया दृष्टि बनाएं रखते हैं। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।