Masik Durgashtami 2025 Date: शिववास योग में मनाई जाएगी दुर्गा अष्टमी, इस विधि से करें देवी मां की पूजा
धार्मिक मत है कि अष्टमी तिथि पर मंदिरों में जगत जननी आदिशक्ति देवी मां दुर्गा (Masik Durgashtami 2025 Kab Hai) की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही भजन-कीर्तन का आयोजन किया जाता है। देवी मां दुर्गा की पूजा करने से साधक के जीवन में खुशियों का आगमन होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में कृष्ण और शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि का खास महत्व है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मासिक कृष्ण जन्माष्टमी और कालाष्टमी मनाई जाती है। वहीं, शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को दुर्गा अष्टमी मनाई जाती है। इस दिन जगत की देवी मां दुर्गा की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए साधक अष्टमी का व्रत रखते हैं।
धार्मिक मत है कि देवी मां दुर्गा की पूजा करने से घर-परिवार में व्याप्त हर परेशानी दूर हो जाती है। साथ ही देवी मां दुर्गा की कृपा से जीवन में मंगल ही मंगल होता है। इसके लिए साधक श्रद्धा भाव से देवी मां दुर्गा की पूजा करते हैं। आइए, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले दुर्गा अष्टमी की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-
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मासिक दुर्गाष्टमी शुभ मुहूर्त (Masik Durga Ashtami Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 02 जून को रात 08 बजकर 34 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत होगी। वहीं, 03 जून को रात 09 बजकर 56 मिनट पर ज्येष्ठ माह की अष्टमी तिथि समाप्त होगी। उदया तिथि गणना से 03 जून को ज्येष्ठ माह की दुर्गा अष्टमी मनाई जाएगी। साधक 03 जून को सुविधा अनुसार समय पर देवी मां दुर्गा की पूजा कर सकते हैं।
दुर्गा अष्टमी शुभ योग
ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर शिववास योग का संयोग बन रहा है। इसके साथ ही अभिजीत मुहूर्त का भी निर्माण हो रहा है। इन योग में मां दुर्गा की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होगा।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 39 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 58 मिनट पर
- चंद्रोदय- सुबह 10 बजकर 34 मिनट पर
- चंद्रास्त- देर रात 12 बजकर 58 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 13 मिनट से 04 बजकर 56 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 25 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 56 मिनट से 07 बजकर 18 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त- रात 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 39 मिनट तक
पूजा विधि
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि पर ब्रह्म बेला में उठें। इस समय देवी मां दुर्गा का ध्यान कर दिन की शुरुआत करें। अब घर की साफ-सफाई करें। इसके बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर लाल रंग के कपड़े पहनें। अब सूर्य देव को जल का अर्घ्य दें। इसके बाद पूजा गृह में एक चौकी पर लाल रंग की चुनरी बिछाकर देवी मां दुर्गा की प्रतिमा या छवि स्थापित करें। इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति बह्व से देवी मां दुर्गा की पूजा करें। इस समय दुर्गा चालीसा का पाठ और मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा का समापन आरती से करें।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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