Margashirsha Purnima 2024: इस स्तोत्र से मिलते हैं कई आध्यात्मिक लाभ, जान लेंगे तो जरूर करेंगे इसका पाठ
पूर्णिमा तिथि पालनहार भगवान विष्णु और चंद्र देव को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस शुभ तिथि पर गंगा स्नान और दान करने से जातक को आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलता है। साथ ही धन से तिजोरी सदैव भरी रहती है। अगर आप भी धन लाभ के योग चाहते हैं तो मार्गशीर्ष पूर्णिमा (Margashirsha Purnima 2024) के दिन अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा को मार्गशीर्ष पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है। इस वर्ष यह पर्व 15 दिसंबर को मनाया जाएगा। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपनी सभी कलाओं से परिपूर्ण रहता है। इसी वजह से पूर्णिमा पर भगवान विष्णु और चंद्र देव की उपासना करने का विधान है। ऐसी मान्यता है कि पूजा-अर्चना और दान करने से सुख-शांति की प्राप्ति होती है। पूजा के दौरान अष्टलक्ष्मी स्तोत्र (Ashtami Lakshmi Stotram Lyrics) का पाठ करना चाहिए।
मार्गशीर्ष पूर्णिमा 2024 डेट और टाइम (Margashirsha Purnima 2024 Date and Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा तिथि की शुरुआत 14 दिसंबर को दोपहर 04 बजकर 58 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन अगले दिन यानी 15 दिसंबर को दोपहर को 02 बजकर 31 मिनट पर होगा। ऐसे में मार्गशीर्ष पूर्णिमा 15 दिसंबर (Margashirsha Purnima 2024 Date) को मनाई जाएगी।
अष्टलक्ष्मी स्तोत्र के पाठ से मिलते हैं ये लाभ
- मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
- धन से जुड़ी परेशानी दूर होती है।
- व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है।
- धन से सदैव तिजोरी भरी रहती है।
- सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
- मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है।
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॥ अष्टलक्ष्मी स्तोत्र॥
॥ आदिलक्ष्मि ॥
सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,चन्द्र सहोदरि हेममये
मुनिगणमण्डित मोक्षप्रदायनि,मञ्जुळभाषिणि वेदनुते।
पङ्कजवासिनि देवसुपूजित,सद्गुण वर्षिणि शान्तियुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,आदिलक्ष्मि सदा पालय माम्॥1॥
॥ धान्यलक्ष्मि ॥
अहिकलि कल्मषनाशिनि कामिनि,वैदिकरूपिणि वेदमये
क्षीरसमुद्भव मङ्गलरूपिणि,मन्त्रनिवासिनि मन्त्रनुते।
मङ्गलदायिनि अम्बुजवासिनि,देवगणाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धान्यलक्ष्मि सदा पालय माम्॥2॥
॥ धैर्यलक्ष्मि ॥
जयवरवर्णिनि वैष्णवि भार्गवि,मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये
सुरगणपूजित शीघ्रफलप्रद,ज्ञानविकासिनि शास्त्रनुते।
भवभयहारिणि पापविमोचनि,साधुजनाश्रित पादयुते
जय जय हे मधुसूधन कामिनि,धैर्यलक्ष्मी सदा पालय माम्॥3॥
॥ गजलक्ष्मि ॥
जय जय दुर्गतिनाशिनि कामिनि,सर्वफलप्रद शास्त्रमये
रधगज तुरगपदाति समावृत,परिजनमण्डित लोकनुते।
हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,तापनिवारिणि पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,गजलक्ष्मी रूपेण पालय माम्॥4॥
॥ सन्तानलक्ष्मि ॥
अहिखग वाहिनि मोहिनि चक्रिणि,रागविवर्धिनि ज्ञानमये
गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,स्वरसप्त भूषित गाननुते।
सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,मानववन्दित पादयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,सन्तानलक्ष्मी त्वं पालय माम्॥5॥
॥ विजयलक्ष्मि ॥
जय कमलासनि सद्गतिदायिनि,ज्ञानविकासिनि गानमये
अनुदिनमर्चित कुङ्कुमधूसर,भूषित वासित वाद्यनुते।
कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,शङ्कर देशिक मान्य पदे
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विजयलक्ष्मी सदा पालय माम्॥6॥
॥ विद्यालक्ष्मि ॥
प्रणत सुरेश्वरि भारति भार्गवि,शोकविनाशिनि रत्नमये
मणिमयभूषित कर्णविभूषण,शान्तिसमावृत हास्यमुखे।
नवनिधिदायिनि कलिमलहारिणि,कामित फलप्रद हस्तयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम्॥7॥
॥ धनलक्ष्मि ॥
धिमिधिमि धिंधिमि धिंधिमि-धिंधिमि,दुन्दुभि नाद सुपूर्णमये
घुमघुम घुङ्घुम घुङ्घुम घुङ्घुम,शङ्खनिनाद सुवाद्यनुते।
वेदपूराणेतिहास सुपूजित,वैदिकमार्ग प्रदर्शयुते
जय जय हे मधुसूदन कामिनि,धनलक्ष्मि रूपेणा पालय माम्॥8॥
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