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    Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि पर इस स्तोत्र के पाठ से मांगलिक दोष करें दूर, डर से मिलेगा छुटकारा

    Updated: Tue, 25 Feb 2025 03:34 PM (IST)

    धार्मिक मत है कि महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) की शुभ तिथि पर भगवान शिव और मां पार्वती की उपासना करने से जीवन खुशहाल होता है। साथ ही गरब लोगों में अन्न और धन का दान करने से जीवन में किसी भी तरह की कमी नहीं होती है। इस दिन व्रत करने से महादेव प्रसन्न होते हैं और सभी जल्द मनोकामना पूरी होती है।

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    Lord Shiv: कैसे करें भगवान शिव को प्रसन्न?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि का पर्व 26 फरवरी (Mahashivratri 2025) को मनाया जाएगा। इस त्योहार को महादेव को प्रसन्न करने के लिए शुभ माना जाता है। इस दिन शिव जी की पूजा करने से सभी सुख मिलते हैं। अगर आप महादेव की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो महाशिवरात्रि के दिन शिव मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करें। इससे सभी डर से छुटकारा मिलता है और मांगलिक दोष खत्म होता है।

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    मिलते हैं ये लाभ

    • शिव मृत्युंजय स्तोत्र का पाठ करने से भगवान शिव बेहद प्रसन्न होते हैं।
    • जीवन में धन की कमी नहीं होती है।
    • सभी मुरादें जल्द पूरी होती हैं।
    • जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
    • रुके हुए काम जल्द पूरे होते हैं।
    • मांगलिक दोष की समस्या दूर होती है।

    ॥ शिव मृत्युंजय स्तोत्र॥

    रत्नसानुशरासनं रजताद्रिश्रृंगनिकेतनं

    शिञ्जिनीकृतपन्नगेश्वरमच्युतानलसायकम्।

    क्षिप्रदग्धपुरत्रयं त्रिदशालयैरभिवंदितं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    पंचपादपपुष्पगन्धिपदाम्बुजद्वयशोभितं

    भाललोचनजातपावकदग्धमन्मथविग्रहम्।

    भस्मदिग्धकलेवरं भवनाशिनं भवमव्ययं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    मत्तवारणमुख्यचर्मकृतोत्तरीयमनोहरं

    पंकजासनपद्मलोचनपूजितांगघ्रिसरोरुहम्।

    देवसिद्धतरंगिणी करसिक्तशीतजटाधरं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    कुण्डलीकृतकुण्डलीश्वरकुण्डलं वृषवाहनं

    नारदादिमुनीश्वरस्तुतवैभवं भुवनेश्वरम्।

    अंधकान्तकमाश्रितामरपादपं शमनान्तकं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    यक्षराजसखं भगाक्षिहरं भुजंगविभूषणं

    शैलराजसुतापरिष्कृतचारुवामकलेवरम्।

    क्ष्वेडनीलगलं परश्वधधारिणं मृगधारिणं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    भेषजं भवरोगिणामखिलापदामपहारिणं

    दक्षयज्ञविनाशिनं त्रिगुणात्मकं त्रिविलोचनम्।

    भुक्तिमुक्तिफलप्रदं निखिलाघसंघनिबर्हणं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    भक्तवत्सलमर्चतां निधिमक्षयं हरिदम्बरं

    सर्वभूतपतिं परात्परमप्रमेयमनूपमम्।

    भूमिवारिनभोहुताशनसोमपालितस्वाकृतिं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    विश्वसृष्टिविधायिनं पुनरेव पालनतत्परं

    संहरन्तमथ प्रपंचमशेषलोकनिवासिनम्।

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    क्रीडयन्तमहर्निशं गणनाथयूथसमाव्रतं

    चन्द्रशेखरमाश्रये मम किं करिष्यति वै यम:॥

    रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    कालकण्ठं कलामूर्तिं कालाग्निं कालनाशनम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    नीलकण्ठं विरुपाक्षं निर्मलं निरूपद्रवम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगद्गुरुम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम्।

    नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्यु: करिष्यति॥

    ॥ इति श्रीपद्मपुराणान्तर्गत उत्तरखण्डे श्रीमृत्युञ्जयस्तोत्रं सम्पूर्णम्। ॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

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