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    Mahashivratri 2025: जीवन के संकटों से न हो परेशान, इस स्तोत्र के पाठ से जीवन होगा खुशहाल

    सनातन शास्त्रों में महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) का अधिक महत्व बताया गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन महादेव और मां पार्वती का विवाह हुआ था। इसी वजह से हर साल फाल्गुन माह में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। इस शुभ तिथि पर महादेव और मां पार्वती की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही शिव जी को फल और मिठाई का भोग लगाया जाता है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Mon, 24 Feb 2025 01:57 PM (IST)
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    Lord Shiv: ऐसे करें महादेव को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाशिवरात्रि (Mahashivratri Vrat 2025) का त्योहार भगवान शिव और मां पार्वती को अधिक प्रिय है। इस शुभ तिथि पर महादेव और मां पार्वती की विशेष पूजा करने का विधान है। साथ ही लोगों में दान किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि उपासना और व्रत करने से साधक को महादेव की कृपा प्राप्त होती है। इस दिन आप शिव तांडव स्तोत्र का पाठ कर भगवान शिव को प्रसन्न कर सकते हैं। धार्मिक मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से विवाह में आ रही बाधा दूर होती है और जीवन के सभी संकट दूर होते हैं।

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    ।।शिव तांडव स्तोत्र।।

    जटाटवीगलज्जलप्रवाहपावितस्थले

    गलेऽवलम्ब्य लम्बितां भुजङ्गतुङ्गमालिकाम् ।

    डमड्डमड्डमड्डमन्निनादवड्डमर्वयं

    चकार चण्डताण्डवं तनोतु नः शिवः शिवम् ॥॥

    जटाकटाहसम्भ्रमभ्रमन्निलिम्पनिर्झरी

    विलोलवीचिवल्लरीविराजमानमूर्धनि ।

    धगद्धगद्धगज्ज्वलल्ललाटपट्टपावके

    किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम ॥॥

    धराधरेन्द्रनंदिनीविलासबन्धुबन्धुर

    स्फुरद्दिगन्तसन्ततिप्रमोदमानमानसे ।

    कृपाकटाक्षधोरणीनिरुद्धदुर्धरापदि

    क्वचिद्दिगम्बरे(क्वचिच्चिदम्बरे) मनो विनोदमेतु वस्तुनि ॥॥

    यह भी पढ़ें: Mahashivratri 2025: महाशिवरात्रि व्रत में क्या खाएं और क्या नहीं? एक क्लिक में जानें सबकुछ

    जटाभुजङ्गपिङ्गलस्फुरत्फणामणिप्रभा

    कदम्बकुङ्कुमद्रवप्रलिप्तदिग्वधूमुखे ।

    मदान्धसिन्धुरस्फुरत्त्वगुत्तरीयमेदुरे

    मनो विनोदमद्भुतं बिभर्तु भूतभर्तरि ॥॥

    सहस्रलोचनप्रभृत्यशेषलेखशेखर

    प्रसूनधूलिधोरणी विधूसराङ्घ्रिपीठभूः ।

    भुजङ्गराजमालया निबद्धजाटजूटक

    श्रियै चिराय जायतां चकोरबन्धुशेखरः ॥॥

    ललाटचत्वरज्वलद्धनञ्जयस्फुलिङ्गभा

    निपीतपञ्चसायकं नमन्निलिम्पनायकम् ।

    सुधामयूखलेखया विराजमानशेखरं

    महाकपालिसम्पदेशिरोजटालमस्तु नः ॥॥

    करालभालपट्टिकाधगद्धगद्धगज्ज्वल

    द्धनञ्जयाहुतीकृतप्रचण्डपञ्चसायके ।

    धराधरेन्द्रनन्दिनीकुचाग्रचित्रपत्रक

    प्रकल्पनैकशिल्पिनि त्रिलोचने रतिर्मम ॥॥

    नवीनमेघमण्डली निरुद्धदुर्धरस्फुरत्

    कुहूनिशीथिनीतमः प्रबन्धबद्धकन्धरः ।

    निलिम्पनिर्झरीधरस्तनोतु कृत्तिसिन्धुरः

    कलानिधानबन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः ॥॥

    प्रफुल्लनीलपङ्कजप्रपञ्चकालिमप्रभा

    वलम्बिकण्ठकन्दलीरुचिप्रबद्धकन्धरम् ।

    स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं

    गजच्छिदांधकच्छिदं तमन्तकच्छिदं भजे ॥॥

    अगर्व सर्वमङ्गलाकलाकदम्बमञ्जरी

    रसप्रवाहमाधुरी विजृम्भणामधुव्रतम् ।

    स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं

    गजान्तकान्धकान्तकं तमन्तकान्तकं भजे ॥॥

    जयत्वदभ्रविभ्रमभ्रमद्भुजङ्गमश्वस

    द्विनिर्गमत्क्रमस्फुरत्करालभालहव्यवाट् ।

    (Pic Credit-AI)

    धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्गतुङ्गमङ्गल

    ध्वनिक्रमप्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः ॥॥

    दृषद्विचित्रतल्पयोर्भुजङ्गमौक्तिकस्रजोर्

    गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्विपक्षपक्षयोः ।

    तृणारविन्दचक्षुषोः प्रजामहीमहेन्द्रयोः

    समं प्रव्रितिक: कदा सदाशिवं भजाम्यहम ॥॥

    कदा निलिम्पनिर्झरीनिकुञ्जकोटरे वसन्

    विमुक्तदुर्मतिः सदा शिरः स्थमञ्जलिं वहन् ।

    विमुक्तलोललोचनो ललामभाललग्नकः

    शिवेति मंत्रमुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् ॥॥

    निलिम्प नाथनागरी कदम्ब मौलमल्लिका-

    निगुम्फनिर्भक्षरन्म धूष्णिकामनोहरः ।

    तनोतु नो मनोमुदं विनोदिनींमहनिशं

    परिश्रय परं पदं तदङ्गजत्विषां चयः ॥॥

    प्रचण्ड वाडवानल प्रभाशुभप्रचारणी

    महाष्टसिद्धिकामिनी जनावहूत जल्पना ।

    विमुक्त वाम लोचनो विवाहकालिकध्वनिः

    शिवेति मन्त्रभूषगो जगज्जयाय जायताम् ॥॥

    इमं हि नित्यमेवमुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं

    पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धिमेतिसंततम् ।

    हरे गुरौ सुभक्तिमाशु याति नान्यथा गतिं

    विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् ॥॥

    पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं

    यः शम्भुपूजनपरं पठति प्रदोषे ।

    तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां

    लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शम्भुः ॥॥

    ''इति श्रीरावण कृतम्''

    ॥शिव ताण्डव स्तोत्र संपूर्णम॥

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