Jyeshtha Amavasya के दिन इन मंत्रों के जप से प्रसन्न होंगे पूर्वज, पितृ दोष होगा दूर
ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2025) के अवसर पर पवित्र नदी में स्न्नान जप-तप और दान करना शुभ माना जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार ज्येष्ठ अमावस्या के दिन इन कामों को करने से पितृ प्रसन्न होते हैं। साथ ही उनकी कृपा से रुके हुए काम पूरे होते हैं। ज्येष्ठ अमावस्या के दिन पितरों के मंत्रों का जप जरूर करना चाहिए।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पितरों को प्रसन्न और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए ज्येष्ठ अमावस्या का दिन बेहद खास माना जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ अमावस्या 27 मई (Jyeshtha Amavasya 2025 Date) को मनाई जाएगी। इसी दिन शनि जयंती का पर्व मनाया जाएगा।
इस दिन पूजा के दौरान पितृ मंत्र (Pitru Mantra) का जप जरूर करें। ऐसामाना जाता है कि मंत्रों का जप करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और जीवन की सभी समस्या से छुटकारा मिलता है।
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करें तिल का दान
ज्येष्ठ अमावस्या के दिन दान करने का विशेष महत्व है। ऐसे में इस दिन पूजा करने के बाद काले तिल का दान करें। मान्यता के अनुसार, काले तिल का दान करने से पितृ दोष दूर होता है और साधक को शुभ फल की प्राप्ति होती है।
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पितृ मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:
2. ॐ पितृ गणाय विद्महे जगतधारिणे धीमहि तन्नो पित्रो प्रचोदयात्।
3. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
4. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च।
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:।
5. ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि।
शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।
6. गोत्रे अस्मतपिता (पितरों का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
7. गोत्रे अस्मतपिता (पिता का नाम) शर्मा वसुरूपत् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जलं वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः।
8. गोत्रे मां (माता का नाम) देवी वसुरूपास्त् तृप्यतमिदं तिलोदकम
गंगा जल वा तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः, तस्मै स्वधा नमः"
पितृ देव की आरती (Pitru Dev Aarti)
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रख लेना लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप ही रक्षक आप ही दाता,
आप ही खेवनहारे,
मैं मूरख हूं कछु नहिं जानू,
आप ही हो रखवारे,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
आप खड़े हैं हरदम हर घड़ी,
करने मेरी रखवारी,
हम सब जन हैं शरण आपकी,
है ये अरज गुजारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
देश और परदेश सब जगह,
आप ही करो सहाई,
काम पड़े पर नाम आपके,
लगे बहुत सुखदाई,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
भक्त सभी हैं शरण आपकी,
अपने सहित परिवार,
रक्षा करो आप ही सबकी,
रहूं मैं बारम्बार,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
जय जय पितर जी महाराज,
मैं शरण पड़ा हू तुम्हारी,
शरण पड़ा हूं तुम्हारी देवा,
रखियो लाज हमारी,
जय जय पितृ जी महाराज, मैं शरण पड़ा तुम्हारी।।
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