Jyeshtha Amavasya 2025: ज्येष्ठ अमावस्या पर कैसे करें पितरों का तर्पण? पितृ बरसाएंगे कृपा
ज्येष्ठ अमावस्या (Jyeshtha Amavasya 2025) पितरों को समर्पित है जो इस बार 27 मई 2025 को मनाई जाएगी। इस दिन पिंडदान तर्पण करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और कुंडली से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है। यह तिथि उन लोगों के लिए भी महत्वपूर्ण है जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि ज्ञात नहीं है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। ज्येष्ठ अमावस्या का हिंदू धर्म में बहुत ज्यादा महत्व है। यह दिन पितरों को समर्पित है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस बार ज्येष्ठ अमावस्या 27 मई (Jyeshtha Amavasya 2025) को मनाई जाएगी। इस दिन पिंडदान, तर्पण और श्राद्ध जैसे काम करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है।
इसके साथ ही कुंडली से अशुभ ग्रहों का प्रभाव कम होता है, तो चलिए इस दिन से जुड़ी जरूरी बातों को जानते हैं।
कब है ज्येष्ठ अमावस्या? (Jyeshtha Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ महीने की अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12 बजकर 11 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 27 मई को सुबह 8 बजकर 31 मिनट पर होगा। उदया तिथि को देखते हुए ज्येष्ठ अमावस्या दिन सोमवार, 27 मई को मनाई जाएगी।
ज्येष्ठ अमावस्या का महत्व (Jyeshtha Amavasya 2025 Significance)
ज्येष्ठ अमावस्या का बहुत बड़ा धार्मिक महत्व है। यह दिन पितरों से जुड़े अनुष्ठान करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन किए गए श्राद्ध कर्म से पितर प्रसन्न होते हैं और सुख, शांति और बरकत प्रदान करते हैं। वहीं, यह तिथि उन लोगों के लिए भी विशेष महत्व रखती है, जिन्हें अपने पूर्वजों की मृत्यु की तिथि की जानकारी नहीं है। कहा जाता है कि पितरों की पूजा करने से कुंडली में पितृ दोष का असर कम होता है।
ज्येष्ठ अमावस्या पर पितृ तर्पण विधि (Jyeshtha Amavasya 2025 Pitru Tarpan Vidhi)
- सुबह जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें।
- पितरों के निमित्त तर्पण जल, जौ, तिल और कुशा से करें।
- क्षमतानुसार के अनुसार पितरों के नाम से दान करें।
- ब्राह्मणों को भोजन खिलाएं।
- इस दिन पक्षियों को दाना डालें।
- पूरे दिन सकारात्मक रहें और किसी भी प्रकार के नकारात्मक विचारों को मन में न आने दें।
- अपनी वाणी पर संयम रखें।
- इस दिन तामसिक चीजों से परहेज करें।
पूजा मंत्र (Puja Mantra)
- ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।।
- ॐ आद्य-भूताय विद्महे सर्व-सेव्याय धीमहि। शिव-शक्ति-स्वरूपेण पितृ-देव प्रचोदयात्।।
यह भी पढ़ें: Jyeshtha Amavasya 2025: ज्येष्ठ अमावस्या पर जरूरी है पितरों का पिंडदान, जानें नियम और मंत्र
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।