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Jagannath Rath Yatra 2019: भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान संपन्न, 15 दिनों के एकांतवास के बाद आज होंगे दर्शन

Jagannath Rath Yatra 2019 भगवान जगन्नाथ आज अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 15 दिनों के एकांतवास के बाद बाहर निकलेंगे।

By kartikey.tiwariEdited By: Published: Tue, 02 Jul 2019 01:36 PM (IST)Updated: Thu, 04 Jul 2019 09:33 AM (IST)
Jagannath Rath Yatra 2019: भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान संपन्न, 15 दिनों के एकांतवास के बाद आज होंगे दर्शन
Jagannath Rath Yatra 2019: भगवान जगन्नाथ का नेत्रदान अनुष्ठान संपन्न, 15 दिनों के एकांतवास के बाद आज होंगे दर्शन

Jagannath Rath Yatra 2019: विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ रथ यात्रा का आयोजन इस वर्ष 04 जुलाई दिन गुरुवार से होना है। भगवान जगन्नाथ आज अपने भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ 15 दिनों के एकांतवास के बाद बाहर निकलेंगे। उनको अंतिम श्रृंगार के रूप में नेत्रदान अनुष्ठान बुधवार को संपन्न हो गया। उनकी विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा आज धूमधाम से निकलेगी।

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इसलिए एकांतवास में रहते हैं भगवान जगन्नाथ

जगन्नाथ रथ यात्रा का शुभारंभ ज्येष्ट मास की देव स्नान पूर्णिमा को यानी 17 जून को स्नान यात्रा से हो गया था। स्नान यात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान के कारण भगवान जगन्नाथ और दोनों भाई बहन बीमार हो गए थे। इस कारण से उनको एकांतवास में रखा गया था।

एकांतवास के दौरान मंदिर में कोई पूजा नहीं होती है। 15 दिनों तक आराम के बाद भगवान जगन्नाथ और उनके भाई-बहन का दिव्य श्रृंगार किया जाता है। उस दिन ही उन्हें नेत्रदान भी किया जाता है। नेत्रदान कार्यक्रम के बाद अगले दिन रथ यात्रा निकलेगी।

रथ यात्रा के समय तीन विशाल रथ तैयार किए जाते हैं, सबसे पहले रथ पर बलभद्र, दूसरे पर बहन सुभद्रा तथा पीछले रथ पर भगवान जगन्नाथ सवार होते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन तीनों के दर्शन मात्र से भक्तों के जीवन के सभी दुख दूर हो जाते हैं।

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नौ दिन तक चलती है जगन्नाथ रथ यात्रा

पुरी मंदिर से भगवान जगन्नाथ अपने भाई-बहन के साथ निकलकर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। गुंडीचा मंदिर में एक सप्ताह तक विश्राम करने के बाद वे तीनों वापस पुरी के मंदिर में लौटते हैं। जब रथ पुरी मंदिर की ओर लौटता है तो उसे उल्टी रथ-यात्रा कहा जाता है।

जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर और फिर जगन्नाथ मंदिर की यह यात्रा नौ दिनों तक चलती है। इस यात्रा को गुंडीचा महोत्सव भी कहा जाता है।


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