सुहागिनों के लिए महत्वपूर्ण है हरतालिका तीज, ऐसे लें व्रत का संकल्प
हरतालिका तीज का व्रत भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है। सुहागिन महिलाएं पति की दीर्घ आयु और सुख-समृद्धि के लिए यह व्रत रखती हैं। कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की कामना से यह व्रत करती हैं। हरतालिका तीज का अर्थ है हरत यानी अपहरण और आलिका यानी सहेली।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन में हरियाली तीज के व्रत के बाद अब भादों के महीने में वैवाहिक जीवन में सुख और समृद्धि का एक और व्रत पड़ने वाला है। यह व्रत भी भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। हरतालिका तीज (Hartalika Teej kab hai) का पर्व भाद्रपद शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
इस साल हरतालिका तीज का व्रत 26 अगस्त 2025 को पड़ेगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की की दीर्घ आयु के साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख और सौभाग्य के साथ ही संतान प्राप्ति के लिए व्रत रखेंगी। इसके अलावा मनचाहे वर की कामना से कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को करेंगी।
हरियाली तीज की तरह ही हरतालिका तीज का व्रत भी सबसे कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में भी उन्हीं नियमों का पालन किया जाता है, जिनका हरियाली तीज के व्रत में किया जाता है। इस व्रत को भी महिलाएं निर्जला यानी बिना पानी पीए ही रखती हैं।
हरतालिका तीज का अर्थ
हरतालिका शब्द, हरत और आलिका से मिलकर बना है। इसमें हरत का मतलब अपहरण करना और आलिका का अर्थ सहेली होता है। हरतालिका तीज की कथा के अनुसार, पार्वतीजी की सहेलियां उनका अपहरण कर उन्हें घने जंगल में छिपा दिया था।
वजह यह थी कि माता पार्वती के पिता पर्तवराज हिमालय उनका विवाह भगवान विष्णु से करना चाहते थे। मगर, माता पार्वती मन ही मन भगवान भोलेनाथ को अपना पति स्वीकार कर चुकी थीं। ऐसे में माता पार्वती की सहेलियों ने उन्हें जंगल में छिपा दिया था, जहां उन्होंने शिवलिंग बनाकर शिवजी की कठिन तपस्या की थी।
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ऐसे लें संकल्प
इस व्रत में भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है। इस व्रत में गौरी शंकर की मिट्टी की प्रतिमा बनाई जाती है। महिलाएं नए वस्त्र पहनकर हरतालिका व्रत कथा सुनती हैं।
व्रत के दिन, ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें और साफ कपड़े पहनें। इसके बाद "उमामहेश्वरसायुज्य सिद्धये हरितालिका व्रतमहं करिष्ये" मंत्र का उच्चारण करते हुए व्रत का संकल्प लें।
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