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    संतान सुख देती है पुत्रदा एकादशी, इस दिन साथ में रहेगा मंगला गौरी व्रत का संयोग

    Updated: Tue, 29 Jul 2025 01:01 PM (IST)

    अगस्त में पुत्रदा एकादशी 5 तारीख को मनाई जाएगी। इस दिन रवि और भद्रावास योग के साथ ही मंगला गौरी का व्रत भी है। मान्यता है कि इस एकादशी के व्रत को करने से निसंतान दंपतियों को संतान सुख मिलता है। वहीं साथ में मंगला गौरी का व्रत रखने से वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है।

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    सावन पुत्रदा एकादशी तिथि पांच अगस्त को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने कृष्ण और शुक्ल पक्ष में एक-एक एकादशी होती है। कुल मिलाकर साल में 24 एकादशी के व्रत रखे जाते हैं। धार्मिक मान्यता है कि एकादशी की तिथि भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित होती है, जिस दिन उनकी पूजा करने से  विशेष फल मिलते हैं। 

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    एकादशी का व्रत करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस दिन व्रत करने से अनेक फल मिलते हैं। इसी तरह अगस्त माह में पुत्रदा एकादशी (Putrada Ekadashi) आने वाली है।

    पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 4 अगस्त को सुबह 11 बजकर 41 मिनट से लेकर 5 अगस्त की दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगी। उदिया तिथि को लेने के चलते सावन पुत्रदा एकादशी तिथि पांच अगस्त को मंगलवार के दिन मनाई जाएगी। 

    पुत्रदा एकादशी पर शुभ योग 

    एकादशी तिथि पर रवि और भद्रावास योग के साथ ही मंगला गौरी के व्रत का भी संयोग रहेगा। रवि योग में भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से आरोग्य, सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं, मंगला गौरी का व्रत करने से अखंड सौभाग्य के साथ ही वैवाहिक जीवन में सुख मिलता है।  

    राजा महीजित से जुड़ी है कथा 

    पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से निसंतान दंपतियों को संतान का सुख मिलता है। जिन लोगों के संतान पहले से हैं, वो यशस्वी और तेजवान बनती हैं। इस व्रत से संबंधित एक पौराणिक कथा भी है। कहते हैं किसी समय में महिष्मति राज्य के राजा महीजित राज करते थे। 

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    मगर, उनकी कोई संतान नहीं होने से वह अपने राज्य को लेकर चिंतित रहते थे। इसका उपाय जानने के लिए उन्होंने ब्राह्मणों की एक बैठक बुलाई। तब उन्हें लोमस ऋषि ने इस समस्या के लिए सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को व्रत रखने का सुझाव दिया। इसके प्रभाव से राजा महीजित को संतान की प्राप्ति हुई। 

    तब से ही संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाले निसंतान दंपती पुत्रदा एकादशी की तिथि पर व्रत करने लगे। किसी भी एकादशी की तिथि पर व्रत करने से व्यक्ति धरती पर समस्त सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।