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    Gupt Navratri June 2025: नवरात्र के छठवें दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, नोट करें विधि

    Updated: Fri, 20 Jun 2025 04:07 PM (IST)

    Gupt Navratri June 2025 आषाढ़ मास के गुप्त नवरात्र 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है। मां कात्यायनी की पूजा से आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है साथ ही विवाह में आने वाली बाधाएं भी दूर होती हैं।

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    Gupt Navratri June 2025: मां कात्यायनी का पूजन करने से कन्याओं को मिलता है मनचाहा वर।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। गुप्त नवरात्र (Gupt Navratri 2025 date) माघ और आषाढ़ माह में मनाए जाते हैं। इस साल अषाढ़ के गुप्त नवरात्र 26 जून से शुरू हो रहे हैं। नवरात्र के छठवें दिन मां कात्यायनी (Maa katyayani) की पूजा और आराधना करने का विधान है। 

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    मां स्वरूप की बात करें, तो उनका रंग सुनहरा है। वह अपनी चार भुजाओं में से दाहिने हाथ से अभय और वर मुद्रा में आशीर्वाद देती हैं। अपने बाएं हाथ में वह तलवार और कमल का फूल धारण करती हैं। मां कात्यायनी की पूजा से आत्मविश्वास और साहस में वृद्धि होती है। 

    इसके साथ ही मां कात्यायनी की पूजा करने से विवाह में आने वाली समस्याएं और बाधाएं दूर होती हैं। जो कुंवारी कन्याएं मां कात्यायनी का पूजन करती हैं, उनको मनचाहा वर प्राप्त होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि मां कात्यायनी को विवाह और प्रेम की देवी भी माना जाता है। 

    मां के इस स्वरूप की पूजा करने से धन और यश की प्राप्ति होती है। साधक को आरोग्य मिलता है। भय और नकारात्मकता दूर होती है और व्यक्ति के जीवन में खुशहाली आती है। मां कात्यायनी को पीला रंग बहुत प्रिय है। आप उन्हें पीले रंग की मिठाई, बेसन के लड्डू या केसरिया भात का भोग लगा सकते हैं। 

    मां कात्यायनी की पूजा विधि (Maa Katyayani Puja Vidhi)

    कात्यायनी मां की पूजा करने के लिए सुबह जल्दी उठकर नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर स्नान करें। साफ और स्वच्छ वस्त्र पहनकर पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें। मंदिर में मां कात्यायनी की मूर्ति या चित्र स्थापित करने के बाद उसके सामने घी का दीपक जलाएं। 

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    मां कात्यायनी का आह्वान करते हुए उन्हें रोली, अक्षत, धूप और पीले फूल और भोग चढ़ाएं। इसके बाद मां कात्यायनी के मंत्रों का जाप करें। इसके बाद दुर्गा सप्तशती, दुर्गा चालीसा का पाठ करने के बाद मां की आरती उतारें।

    स्तुति मंत्र

    या देवी सर्वभूतेषु मां कात्यायनी रूपेण संस्थिता। 

    नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।