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    Bhagwan Ganesh Aarti: क्या आपको पता है 'सुखकर्ता दुखहर्ता' आरती का मतलब, जानें यहां...

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Wed, 20 Sep 2023 01:14 PM (IST)

    Ganesh Chaturthi 2023 गणेश चतुर्थी का पर्व महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गणपति पूजा की विशेष धूम रहती है। गणपति पूजा के दौरान प्रसिद्ध आरती सुखकर्ता दुखहर्ता की जाती है। इस आरती की रचना समर्थ रामदास स्वामी ने की है। यह आरती उन्होंने मोरगांव में मोरेश्वर की मूर्ति देखकर की थी।

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    Bhagwan Ganesh Aarti: क्या आपको पता है 'सुखकर्ता दुखहर्ता' आरती का मतलब, जानें यहां...

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Ganesh Chaturthi 2023: हर वर्ष भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चतुर्दशी तिथि तक गणेश चतुर्थी मनाई जाती है। इस वर्ष 19 सितंबर से लेकर 27 सितंबर तक गणेश महोत्स्व है। इस दौरान भगवान गणेश की श्रद्धा पूर्वक नित प्रतिदिन पूजा-अर्चना की जाती है। यह पर्व महाराष्ट्र और गुजरात समेत देश के कई राज्यों में धूमधाम से मनाया जाता है। महाराष्ट्र में गणपति पूजा की विशेष धूम रहती है। गणपति पूजा के दौरान प्रसिद्ध आरती 'सुखकर्ता दुखहर्ता' की जाती है। इस आरती की रचना समर्थ रामदास स्वामी ने की है। यह आरती उन्होंने मोरगांव में मोरेश्वर की मूर्ति देखकर की थी। समर्थ रामदास द्वारा लिखित श्री गणेश की इस आरती में कुल सात पद हैं। आइए, अर्थ सहित गणेश जी की आरती करें-

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    गणेश जी की आरती

    सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची

    नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची

    सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची

    कंठी झलके माल मुकताफळांची

    सुख देकर दुख हरने वाले, हमारे मार्ग की बाधाओं को दूर करने वाले, प्रेम और कृपा के दाता, जिनके सभी अंग सुंदर हैं, सिंदूरी गजानन के माथे पर चंदन का टीका है और चमकते मोतियों की माला गले में धारण कर रखी है।

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति

    जय देव जय देव

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति! जिनके दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती हैं। जय देव जय देव।

    रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा

    चंदनाची उटी कुमकुम केशरा

    हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा

    रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया

    हे गौरी कुमार, रत्न जड़ित मुकुट आपके लिए हैं। आपके शरीर पर चंदन का लेप व मस्तक पर कुमकुम का तिलक है। हीरे जड़ित मुकुट आपकी शोभा बढ़ा रहा है। आपके चरणों की पायल से रुनझुन की ध्वनि आती है।

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति

    जय देव जय देव

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति! जिनके दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती हैं। जय देव जय देव।

    लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना

    सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना

    दास रामाचा वाट पाहे सदना

    संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना

    बड़े तोंद वाले और पीत वस्त्र धारण किए हुए, जिनके चेहरे पर विनम्रता का भाव है, जिनकी मैं वंदना करता हूं। जिनकी सूंड सीधी वक्रतुंड और तीन आंखें हैं। जो राम का दास है, वह अपने घर में आपकी प्रतीक्षा कर रहा है। संकट के समय आप हमारी रक्षा करते हैं। आपकी पूजा सभी देवताओं द्वारा की जाती है।

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति

    दर्शनमात्रे मन कामना पूर्ति

    जय देव जय देव

    जय देव जय देव, जय मंगल मूर्ति! जिनके दर्शन मात्र से मनोकामना पूरी हो जाती हैं। जय देव जय देव।

    शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को

    दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को

    हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को

    महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को

    माथे पर सिन्दूर लगाये, गजमुख, लाल वस्त्र धारण किये हुए हैं, गौरी व शिव के पुत्र, हाथ में मीठे लड्डू लिये हैं, हे देवताओं के वंदनीय, तेरी महिमा वर्णन से परे है, मैं आपके चरण पड़ता हूं!

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    जय जय जय जय जय

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    जय हो प्रभु! जय हो, हे शुभता के देवता! जिनकी एक झलक मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। जय हो प्रभु! जय हो प्रभु!

    अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी

    विघन विनाशन मंगल मूरत अधिकारी

    कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी

    गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

    आठ सिद्धियां आपकी सेवा करती हैं, सभी बाधाओं को दूर करती हैं, बाधाओं का नाश करती हैं, शुभता का प्रतीक हैं, आपकी चमक लाखों सूर्यों की तरह है, आपके माथे पर अर्धचंद्र के साथ, आप चमकते हैं।

    जय जय जय जय जय

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय देव जय देव

    जय हो प्रभु! जय हो, हे शुभता के देवता! जिनकी एक झलक मात्र से सारी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं। जय हो प्रभु! जय हो प्रभु!

    भावभगत से कोई शरणागत आवे

    संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे

    ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे

    गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

    जो कोई भी भक्तिपूर्वक आपकी शरण में आता है, उसे संतान, धन और प्रचुरता प्राप्त होती है, ऐसे आप महाराज, हमें अच्‍छे लगते हैं। गोंडवलेकर नंदना, आपकी महानता ऐसी है, की नित आपकी स्‍तुति गाई जाती है।

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

    धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता

    जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता जय देव जय देव।

    डिसक्लेमर- इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।