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    Guruwar Ke Upay: कुंडली में करना चाहते हैं गुरु ग्रह को मजबूत तो जरूर करें गुरु कवच का पाठ

    Guru Kavach Lyrics हिन्दू धर्म में गुरुवार दिन को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। यह दिन गुरु ग्रह से संबंधित है। गुरुवार के दिन गुरु ग्रह को समर्पित गुरु कवच का पाठ करने से कुंडली में गुरु मजबूत होते है और जीवन में आ रही कई प्रकार समस्याएं दूर हो जाते हैं। बता दें कि गुरु ग्रह को सुख-सौभाग्य वैभव धन आदि का कारक माना जाता है।

    By Shantanoo MishraEdited By: Shantanoo MishraUpdated: Wed, 20 Sep 2023 07:00 AM (IST)
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    Guruwar Ke Upay गुरुवार के दिन जरूर करें गुरु ग्रह कवच स्तोत्र का पाठ।

    नई दिल्ली, अध्यात्म डेस्क । Guruwar Ke Upay in Hindi: सनातन धर्म में प्रत्येक दिन का अपना एक महत्व है। साथ ही सप्ताह के सभी दिनों से कोई न कोई देवता संबध रखते हैं। ठीक उसी प्रकार गुरुवार का भगवान विष्णु और देव गुरु से संबंधित है। मान्यता है कि गुरुवार के दिन देव गुरु बृहस्पति की उपासना करने से कुंडली में गुरु ग्रह के कारण उत्पन्न हो रही समस्याएं दूर हो जाती है और जातक को विभिन्न क्षेत्रों में सफलता प्राप्त होती है। बता दें कि गुरु ग्रह को सुख, सौभाग्य, वैभव, धन आदि का कारक माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में गुरु ग्रह को प्रबल बनाने के लिए गुरुवार के दिन गुरु कवच स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए।

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    गुरु ग्रह कवच लिरिक्स (Guru Kavach Lyrics in Hindi)

    ॐ सहस्त्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः ।

    पातु मां बटुको देवो भैरवः सर्वकर्मसु ।।

    पूर्वस्यामसितांगो मां दिशि रक्षतु सर्वदा ।

    आग्नेयां च रुरुः पातु दक्षिणे चण्ड भैरवः ।।

    नैॠत्यां क्रोधनः पातु उन्मत्तः पातु पश्चिमे ।

    वायव्यां मां कपाली च नित्यं पायात् सुरेश्वरः ।।

    भीषणो भैरवः पातु उत्तरास्यां तु सर्वदा ।

    संहार भैरवः पायादीशान्यां च महेश्वरः ।।

    ऊर्ध्वं पातु विधाता च पाताले नन्दको विभुः ।

    सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ।।

    रामदेवो वनान्ते च वने घोरस्तथावतु ।

    जले तत्पुरुषः पातु स्थले ईशान एव च ।।

    डाकिनी पुत्रकः पातु पुत्रान् में सर्वतः प्रभुः ।

    हाकिनी पुत्रकः पातु दारास्तु लाकिनी सुतः ।।

    पातु शाकिनिका पुत्रः सैन्यं वै कालभैरवः ।

    मालिनी पुत्रकः पातु पशूनश्वान् गंजास्तथा ।।

    महाकालोऽवतु क्षेत्रं श्रियं मे सर्वतो गिरा ।

    वाद्यम् वाद्यप्रियः पातु भैरवो नित्यसम्पदा ।।

    डिसक्लेमर: इस लेख में निहित किसी भी जानकारी/सामग्री/गणना की सटीकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संग्रहित कर ये जानकारियां आप तक पहुंचाई गई हैं। हमारा उद्देश्य महज सूचना पहुंचाना है, इसके उपयोगकर्ता इसे महज सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त, इसके किसी भी उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता की ही रहेगी।