Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Dhanu Sankranti के दिन सूर्य कवच के पाठ से रुके हुए काम होंगे पूरे, मनचाहा मिलेगा करियर

    पंचांग के अनुसार धनु संक्रांति (Dhanu Sankranti 2024) 15 दिसंबर को है। इस दिन सूर्य देव राशि परिवर्तन कर धनु राशि में गोचर करेंगे। ऐसे में सूर्य देव की उपासना करना जातक के जीवन के फलदायी साबित होता है। साथ ही विशेष चीजों का दान करने से जातक को मनचाहा करियर प्राप्त होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।

    By Kaushik Sharma Edited By: Kaushik Sharma Updated: Sat, 14 Dec 2024 04:39 PM (IST)
    Hero Image
    सूर्य कवच के पाठ से प्रसन्न होंगे सूर्य देव

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पंचांग के अनुसार, 15 दिसंबर (Dhanu Sankranti 2024 Date) को धनु संक्रांति मनाई जाएगी। इस तिथि पर मार्गशीर्ष पूर्णिमा और अन्नपूर्णा जयंती का पर्व भी मनाया जाएगा। धनु संक्रांति को सूर्य देव के धनु राशि में गोचर करने की तिथि पर मनाया जाता है। इसके बाद से पौष माह की शुरुआत होती है, जिसका विशेष महत्व है। धनु संक्रांति के अवसर पर सूर्य देव की उपासना करने का विधान है। साथ ही सूर्य कवच का पाठ करना फलदायी साबित होता है। मान्यता है कि धनु संक्रांति के दिन सच्चे मन से सूर्य कवच का पाठ करने से जातक के रुके हुए काम पूरे होते हैं और सूर्य देव की कृपा प्राप्त होती है।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    धनु संक्रांति 2024 डेट और टाइम (Dhanu Sankranti 2024 Date and Time)

    पंचांग के अनुसार, इस साल सूर्य ग्रह धनु राशि में 15 दिसंबर की रात को 10 बजकर 19 मिनट पर प्रवेश करेंगे। ऐसे में इस बार धनु संक्रांति 15 दिसंबर को मनाई जाएगी।

    सूर्य कवच

    ॥श्रीसूर्यध्यानम्॥

    रक्तांबुजासनमशेषगुणैकसिन्धुं

    भानुं समस्तजगतामधिपं भजामि।

    पद्मद्वयाभयवरान् दधतं कराब्जैः

    माणिक्यमौलिमरुणाङ्गरुचिं त्रिनेत्रम्॥

    श्री सूर्यप्रणामः

    जपाकुसुमसङ्काशं काश्यपेयं महाद्युतिम्।

    ध्वान्तारिं सर्वपापघ्नं प्रणतोऽस्मि दिवाकरम् ॥

    । याज्ञवल्क्य उवाच ।

    श्रुणुष्व मुनिशार्दूल सूर्यस्य कवचं शुभम् ।

    शरीरारोग्यदं दिव्यं सर्व सौभाग्यदायकम् ॥॥

    दैदिप्यमानं मुकुटं स्फ़ुरन्मकरकुण्डलम् ।

    ध्यात्वा सहस्रकिरणं स्तोत्रमेतदुदीरयेत्॥॥

    शिरो मे भास्करः पातु ललाटे मेSमितद्दुतिः ।

    नेत्रे दिनमणिः पातु श्रवणे वासरेश्वरः ॥३ ॥

    घ्राणं धर्म धृणिः पातु वदनं वेदवाहनः ।

    जिह्वां मे मानदः पातु कंठं मे सुरवंदितः ॥॥

    स्कंधौ प्रभाकरं पातु वक्षः पातु जनप्रियः ।

    पातु पादौ द्वादशात्मा सर्वागं सकलेश्वरः ॥॥

    सूर्यरक्षात्मकं स्तोत्रं लिखित्वा भूर्जपत्रके ।

    दधाति यः करे तस्य वशगाः सर्वसिद्धयः ॥॥

    सुस्नातो यो जपेत्सम्यक् योSधीते स्वस्थ मानसः ।

    स रोगमुक्तो दीर्घायुः सुखं पुष्टिं च विंदति ॥॥

    ॥ इति श्री माद्याज्ञवल्क्यमुनिविरचितं सूर्यकवचस्तोत्रं संपूर्णं ॥

    यह भी पढ़ें: Dhanu Sankranti 2024: कब है धनु संक्रांति? इन 2 राशियों की चमकेगी फूटी किस्मत

    ॥सूर्य अष्टक स्तोत्रम्॥

    नमः सवित्रे जगदेकचक्षुषे जगत्प्रसूतिस्थितिनाश हेतवे ।

    त्रयीमयाय त्रिगुणात्मधारिणे विरञ्चि नारायण शंकरात्मने ॥॥

    यन्मडलं दीप्तिकरं विशालं रत्नप्रभं तीव्रमनादिरुपम् ।

    दारिद्र्यदुःखक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मण्डलं देवगणै: सुपूजितं विप्रैः स्तुत्यं भावमुक्तिकोविदम् ।

    तं देवदेवं प्रणमामि सूर्यं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मण्डलं ज्ञानघनं, त्वगम्यं, त्रैलोक्यपूज्यं, त्रिगुणात्मरुपम् ।

    समस्ततेजोमयदिव्यरुपं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं गूढमतिप्रबोधं धर्मस्य वृद्धिं कुरुते जनानाम् ।

    यत्सर्वपापक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं व्याधिविनाशदक्षं यदृग्यजु: सामसु सम्प्रगीतम् ।

    प्रकाशितं येन च भुर्भुव: स्व: पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं वेदविदो वदन्ति गायन्ति यच्चारणसिद्धसंघाः ।

    यद्योगितो योगजुषां च संघाः पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं सर्वजनेषु पूजितं ज्योतिश्च कुर्यादिह मर्त्यलोके ।

    यत्कालकल्पक्षयकारणं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं विश्वसृजां प्रसिद्धमुत्पत्तिरक्षाप्रलयप्रगल्भम् ।

    यस्मिन् जगत् संहरतेऽखिलं च पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं सर्वगतस्य विष्णोरात्मा परं धाम विशुद्ध तत्त्वम् ।

    सूक्ष्मान्तरैर्योगपथानुगम्यं पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥ ॥

    यन्मडलं वेदविदि वदन्ति गायन्ति यच्चारणसिद्धसंघाः ।

    यन्मण्डलं वेदविदः स्मरन्ति पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    यन्मडलं वेदविदोपगीतं यद्योगिनां योगपथानुगम्यम् ।

    तत्सर्ववेदं प्रणमामि सूर्य पुनातु मां तत्सवितुर्वरेण्यम् ॥॥

    मण्डलात्मकमिदं पुण्यं यः पठेत् सततं नरः ।

    सर्वपापविशुद्धात्मा सूर्यलोके महीयते ॥ ॥

    ॥ इति श्रीमदादित्यहृदये मण्डलात्मकं स्तोत्रं संपूर्णम् ॥

    यह भी पढ़ें: Dhanu Sankranti 2024: धनु संक्रांति पर करें सूर्य देव के नामों का मंत्र जप, करियर को मिलेगा नया आयाम

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।